Alok Sharma Suside Case : आलोक शर्मा का पुत्र देर रात पीएचक्यू के बाहर पहुंच इस तरह लगाई गुहार
पिता को न्याय दिलाने के लिए देर रात पीएचक्यू पहुंचा बेटा, कोई नहीं मिला तो गेट के हाथ जोड़ की विनती
जयपुर। alok sharmasuside case पिता की मौत के कसूरवारों को सजा दिलाने का हौसला इतना कि अकेले जयपुर कमिश्नरेट पुलिस के खिलाफ 23 वर्षीय शुभम् को लड़ाई लडऩी पड़ रही है। बुलेटिन टुडे के सीइओ रह चुके पत्रकार आलोक शर्मा का सुसाइड नोट और अन्य सबूत होने के बाद जयपुर कमिश्नरेट ( Police Commissionerate ) की दक्षिणी जिला पुलिस रसूखात के चलते मामले को दबाने पर तुली है। लेकिन शुभम् का कहना है कि वह जब तक पिता की मौत के कसूरवारों को सजा नहीं दिलवा देगा, तब तक चुप नहीं बैठेगा।
शुभम ने पत्रिका को बताया कि मंगलवार को पुलिस महानिदेशक भूपेन्द्र सिंह के यहां गुहार लगाने जाने वाला था। लेकिन देर रात अचानक जरूरी काम से मंगलवार सुबह मुम्बई जाना तय हुआ। इसके बाद नींद ही नहीं आई, क्या? करता, देर रात करीब साढ़े ग्यारह बजे ही वह पुलिस मुख्यालय के बाहर पहुंचा और जहां पूरे प्रदेश पुलिस का संचालन करने वाले डीजीपी भूपेन्द्र सिंह के कमरे की तरफ हाथ जोड़ विनती लगाई।
उसने पांच दिन पहले डीजीपी सिंह को शिकायत पत्र भी दिया था। गुहार में बताया कि अशोक नगर थाना पुलिस ने सुसाइड नोट मिलने के बाद मामला दबाने के लिए रसूखात वालों के साथ मिलकर कैसे चक्रव्यूह रचा। जब वह तीन दिन तक लगातार मुकदमा दर्ज कराने के लिए थाने पर पहुंचा, लेकिन उसकी तरफ से मुकदमा दर्ज नहीं किया गया और पांच दिन से जोधपुर गए हुए उपनिरीक्षक को जयपुर बुलाकर उससे मुकदमा दर्ज करवा दिया गया। इतना ही नहीं, अब जांच के नाम पर आलोक शर्मा के परिवार वालों से ही पूछताछ कर खानापूर्ति की जा रही है। जबकि आरोपियों को सबूत नष्ट करने का पूरा मौका दिया जा रहा है।
हालांकि पीडि़त शुभम ने बताया कि मुम्बई से आने के बाद डीजीपी सिंह से व्यक्तिगत मिलकर गुहार भी लगाएगा। सुसाइड नोट में आरोप लगाते हुए तनख्वाह नहीं मिलने से आर्थिक तंगी से जूझना बताया गया और कैंसर से पीडि़त मां का ढंग से इलाज भी नहीं करवा पा रहे थे। पुलिस ने ललित धोका, कैलाश मोदानी और सत्यनारायण के खिलाफ मामला दर्ज किया है। हालांकि मामला जस का तस होना बताया गया है।