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पिता ने सोचा बेटा मां के साथ शहर में है, मां सोचती रही गांव में बंटा रहा हाथ, पुलिस ने बताया तो उड़े होश

locationजयपुरPublished: Oct 21, 2019 07:37:12 pm

झालाना पहाड़ी पर मिले युवक के शव का मामला, माता—पिता दोनों ही रहे अनजान, दो महीने तक करते रहे इंतजार, नहीं कराई गुमशुदगी दर्ज

पिता ने सोचा बेटा मां के साथ शहर में है, मां सोचती रही गांव में बंटा रहा हाथ, पुलिस ने बताया तो उड़े होश

पिता ने सोचा बेटा मां के साथ शहर में है, मां सोचती रही गांव में बंटा रहा हाथ, पुलिस ने बताया तो उड़े होश

मुकेश शर्मा / जयपुर। झालाना पहाड़ी पर रविवार को पेड़ पर फंदे से लटके मिले युवक की पहचान आधार कार्ड के आधार पर पाली के जैतारण स्थित गरनिया निवासी 20 वर्षीय महेन्द्र कुमार के रूप में हुई। पुलिस ने बताया कि महेन्द्र के पिता गांव में रहते हैं और मां व एक भाई जवाहर नगर स्थित टीला नंबर छह पर रहते हैं। महेन्द्र दोनों ही जगह आता-जाता रहता था। परिजनों ने गांव और जयपुर में होने की आशंका पर उसकी गुमशुदगी भी दर्ज नहीं करवाई थी। सोमवार को एसएमएस अस्पताल में पोस्टमार्टम करवाकर महेन्द्र का शव पिता बंशीलाल व भाई विनोद को सुपुर्द कर दिया। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
गौरतलब है कि झालाना टीला नंबर दो व तीन के बीच जंगल में रविवार को एक युवक का पेड़ पर लटका शव मिला था। करीब दो माह पुराना होने के कारण शव क्षत विक्षप्त हो गया था। उसकी जेब में सैटेलाइट अस्पताल की पर्ची मिली। पर्ची भी बारिश में भीगने पर गल चुकी थी। प्राथमिक जांच में मामला आत्महत्या का माना है। मृतक के पास एक मोबाइल, महेन्द्र कुमार नाम का आधार कार्ड और दो फोटो मिली हैं। आधार पर पाली के गरेनिया का पता लिखा है। पुलिस इसी आधार पर जब मृतक महेन्द्र के घर पहुंची। जब परिजनों को महेन्द्र के बारे में पता चला तो घर में कोहराम मच गया।
सीमा विवाद में उलझती रही पुलिस
झालाना पहाड़ी पर जंगल में पेड़ पर फंदे से लटके मिले शव को उतारने की बजाय पुलिस सीमा विवाद के निपटारे में लगी थी। जबकि होना चाहिए था कि पुलिस शव को नीचे उतार अस्पताल पहुंचाती और उसकी हत्या हुई या फिर उसने आत्महत्या की। इसकी जांच में जुटती। एक थाना पुलिस मौके पर पहुंच भी गई और उसका क्षेत्राधिकार नहीं है, तब भी यह व्यवस्था है कि जीरो नंबर की एफआइआर दर्ज कर संबंधित थाना पुलिस को मामला सुपुर्द कर दिया जाए। लेकिन आपसी सीमा का विवाद कर किसी मामले को लटकाया नहीं जाए।
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