पुलिस ने बताया कि कैलाश ने साल 2013 में एसबीआई शाखा चाकसू से पर्सनल लोन लिया था। तभी बैंक की ओर से एसबीआई लाइफ इन्श्योरेंस पॉलिसी दी गई थी। वह इस पॉलिसी की एक ही किस्त जमा करवा पाया और उसकी पॉलिसी लेप्स हो गई।
इसके बाद मई 2018 में गजेन्द्र सिंह नाम के व्यक्ति ने फोन कर खुद गवर्निग बॉडी ऑफ काउंसलिंग का सदस्य बताया। फोन पर उसने बीमा पॉलिसी के नबंर बताते हुए जमा करवाई गई पहली किस्त के 14 हजार 561 रुपए दिलाने को कहा। गजेन्द्र से कैलाश से 9400 रुपए जमा करवाने को कहा और बदले में बोनस सहित पूरी रकम दिलाने का वादा किया। शातिर के झांसे में आने के बाद कैलाश ने पॉलिसी की पूरी जानकारी दे दी। 9400 रुपए उसके बताए अनुसार खाते में डलवा दिए। इसके बाद छह मई को शातिर का दोबारा फोन आया कि आपके 9144 रुपए और जमा करवाओ तो आपकी राशि जुड़कर आ जाएगी। इस पर पीड़ित ने दोबारा रुपए जमा करवा दिए। इसके बाद भी रुपए खाते में नहीं आए। दोबारा प्रमोद नाक के व्यक्ति का फोन आया कि जिनसे आपकी बात हो रही थी उनका एक्सीडेंट हो गया है। उनकी जगह वो काम करेंगे और उन्होंने भी खाते में रुपए जमा करवाने पर रुपए देने की बात कही।
इसके बाद पुष्पा नाम की महिला का पफोन आया और खुद को प्रमोद की जगह काम करना बताकर रुपए जमा करवा लिए। इसके बाद प्रमोद का पफोन आया और कहा कि पुष्पा के खाते में रुपए क्यों जमा करवाए। आप बैंक अधिकारी विजय कुमार से बात करो। इस तरह ठगों ग्रुप ने आपस में एक-दूसरे का ट्रांसफर होने की बात कहते हुए कुल 17.41 लाख रुपए ठग लिए। आखिर में पीड़ित ने परिजनों को ठगी के बारे में बताया व मामाल दर्ज करवाया। पुलिस ने फोन नंबरों के आधार पर मामले की जांच शुरु कर दी है।