तीन तरीकों से दे रहे अंजाम – विशिंग अटैक : हैकर कॉल कर खुद को बैंककर्मी, आरबीआइ ऑफिसर, क्रेडिट कार्ड ऑफिसर बताता है। कार्ड एक्सपायर बताकर ओटीपी भेजता है, फिर कार्ड रिन्यू के नाम पर ओटीपी पूछकर फटका लगा देता है।
– स्मिशिंग अटैक : हैकर गूगल-पे और फोन-पे आउट डेट होने का मैसेज भेजता है कि इसे नीचे दिए गए लिंक से अपडेट कर लें, नहीं तो आपका बैंक एकाउंट गूगल-पे से सस्पेंड कर दिया जाएगा। यूजर जैसे ही अपडेट के ऑप्शन पर क्लिक करता है, एकाउंट से निश्चित राशि ऑटो डेबिट हो जाती है, क्योंकि लिंक के साथ सस्पीशियस कोड और वायरस अटैच रहते हैं, जो अकाउंट को डायरेक्ट एक्सेस करवा देते हैं।
– फिशिंग अटैक : हैकर गूगल-पे और फोन-पे का लिंक बनाता है, जिसमें वायरस हिडन रहता है। यह लिंक ओपन करते ही वायरस ऑटो रन होकर पीडि़त के फोन-पे या गूगल-पे नंबर से अटैच हो जाता है। पे-ऑप्शन पर क्लिक करते ही बैंक एकाउंट से रुपए हैकर के खाते में चले जाते हैं।
इनको ऐसे बनाया शिकार, आप बचकर रहें – विशिंग अटैक : टोंक के खोजा बावड़ी सिंधी कॉलोनी निवासी कमलेश कुमार बैरवा ने बताया कि 31 मई को उसने आंखों का ऑपरेशन कराकर क्रेडिट कार्ड से पैमेंट किया था। चार जुलाई को क्रेडिट कार्ड डिपार्टमेंट से किसी महिला ने कॉल कर पूरा पैसा जमा कराने की एवज में पांच हजार रुपए बोनस देने का झांसा दिया। क्रेडिट कार्ड की जानकारी लेकर ओटीपी मांगा और चार बार में एक लाख रुपए निकाल लिए।
– स्मशिंग अटैक : जगतपुरा निवासी सुरेश जाट के मोबाइल पर मैसेज के साथ एक लिंक आया, जिसमें लिखा था लिंक ओपन कर अपडेट कर लें, अन्यथा फोन-पे सस्पैंड हो जाएगा। उसने जैसे ही लिंक ओपन किया, दस हजार रुपए स्मशिंग अटैक से निकल गए।
– फिशिंग अटैक : प्रतापनगर सेक्टर-10 निवासी मक्खनलाल गुप्ता की पत्नी नीतू हॉस्टल संचालक हैं। नौ मार्च को रात 8.30 बजे किसी ने फोन कर खुद को छत्तीसगढ़ में आर्मी में बताया। हॉस्टल में बेटियों का एडमिशन कराने का झांसा देकर गूगल-पे ऐप खोलने को कहा। जैसे ही यह ऐप खोला, बिना पासवर्ड डाले ही खाते से तीन बार में 60 हजार रुपए निकल गए।
यों वापस पा सकते हैं रुपए – 03 दिन के भीतर बैंक में शिकायत दर्ज कराएं
– पुलिस या साइबर पुलिस को शिकायत दर्ज कराएं – बैंकिंग लोकपाल में शिकायत दर्ज कराएं
– एडजुडीकेशन अधिकारी को मुआवजे के लिए आवेदन दें
शिकार होने से ऐसे बचें – संदेहास्पद मैसेज, लिंक एवं ई-मेल तुरंत अपने फोन व कम्प्यूटर से डिलीट कर दें।
– सभी फोन ऐप एवं कम्प्यूटर अपडेट रखें, विश्वसनीय प्लेटफार्म से ही डाउनलोड करें।
– नेटगार्ड फायरवाल एंड्रॉयड फोन के लिए एवं जोन अलार्म कम्प्यूटर के लिए इस्तेमाल करें।
– हमेशा लाइसेंस वर्जन एंटीवायरस का इस्तेमाल करें। – किसी भी भेजे हुए लिंक से कोई ऐप अपडेट और डाउनलोड न करें। (साइबर क्राइम इंवेस्टीगेटर मुकेश लोदी के अनुसार)