इस बाग में विद्यार्थियों का प्रवेश नि:शुल्क होगा। वहीं लोग टोकन लेकर बाग में प्रवेश कर सकेंगे। हालांकि बाग में लोगों को अभी पाथ—वे अलावा कहीं भी जाने की अनुमति नहीं होगी।
रेगिस्थानी प्रजातियों के 7 हजार पौधे लगाए गए है, जिनमें खैर, रोंज, कुमठा, अकोल, धोंक, खेजडी, इंद्रोक, हिंगोट, ढाक, कैर, गूंदा, लसोडा, बर्ना, गूलर, फालसा, रोहिडा, दूधी, खेजडी, चूरैल, पीपल, जाल, अडूसा, बुई, वज्रदंती, आंवल, थोर, फोग, सिनाय, खींप, फ्रास आदि प्रजाति के पेड-पौधें और लापडा, लाम्प, धामण, चिंकी, मकडो, डाब, करड, सेवण आदि प्रजाति की घास लगाई गई है।
देश भर में अपनी तरह के इस एकमात्र पार्क का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिवाली से पहले लोकार्पण कर सकते हैं। यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने इस अद्वितीय पार्क को विश्व मानचित्र पर पर्यटक स्थल के तौर पर शामिल किया जाएगा। इसके लिए प्रचार-प्रसार की रणनीति बनाई जाएगी।
जेडीए आयुक्त ने बताया कि किशन बाग रेतीले टीबो में विकसित अद्वितीय बाग है। लोगों को जानकारी देने एवं आकर्षित करने के लिए फोटो सहित साईनेज लगाए गए है। रेगिस्तानी रेत के सिलिका से बनी ऐतिहासिक चट्टाने यहां देखने को मिलेगी। जीवों के जीवाश्मों से संबंधित जानकारी भी यहां मिल सकेगी। यह बाग पर्यटकों के साथ विद्यार्थियों के लिए कई जानकारी उपलब्ध कराएगा।
फेंसिंग, पार्किंग, नर्सरी, प्रवेशप्लाजा, आगंतुक केन्द्र, माईक्रो हेबीटेट्स 1 (ग्रेनाइट हैबिटेट्स), धोक हेबीटेट, रॉक एण्ड फोसिल्स कलस्टर, रोई हेबीटेट, एक्जिबिट, माईक्रो हेबीटेट्स 2 (आर्द्रभूमि वृक्षारोपण), व्यूइंगडैक, वॉटरबॉडी आदि। रखरखाव की दी जिम्मेदारी
जेडीए आयुक्त गौरव गोयल ने बताया कि पार्क के रखरखाव का जिम्मा राव जोधा डेजर्ट रॉक पार्क सोसायटी को दिया गया है। यह सोसायटी जोधपुर स्थित राव जोधा पार्क का रखरखाव करती है।