इसके बाद जेडीए उपायुक्त रामलाल गुर्जर के नेतृत्व में टीम ने कब्जा लिया और जेडीए मालिकाना हक के बोर्ड लगा दिए। हालांकि, इस बीच कुछ विरोध हुआ लेकिन उन्हें शांत कर दिया गया। बताया जा रहा है कि जमीन अवाप्ति वर्ष 2005 की थी, जिसके तहत अवाप्त जमीन का मुआवजे के तौर पर 15 प्रतिशत विकसित भूमि देने का प्रावधान है। लेकिन प्रभावित मौजूदा अवाप्ति अधिनियम के तहत 25 प्रतिशत मुआवजा भूमि देने की मांग कर रहे थे। इसी कारण हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गई।
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हाईकोर्ट ने तीन दिन पहले याचिका खारिज कर दी। इससे जेडीए प्रशासन ने राहत की सांस ली है, क्योंकि इस प्रभावित जमीन पर आवंटन हो चुका है लेकिन वर्षों से स्टे होने के कारण आवंटियों को कब्जा नहीं सौंपा जा सका था। अब आवंटियों को कब्जा सौंपने की तैयारी है।
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इन्होंने दायर की याचिका, इतनी जमीन
मोतीभवन गृह निर्माण सहकारी समिति
— 9.51 हैक्टेयर खुदाबादी गृह निर्माण सहकारी समिति
— 14.80 हैक्टेयर
पांचू सैनी — 9.72 हैक्टेयर
मांगीलाल — 4.14 हैक्टेयर
फैक्ट फाइल
—वर्ष 2003 में सृजित की गई थी लोहामंडी योजना
—125 से ज्यादा है आवंटन
—150 बीघा जमीन पर था स्टे
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