निगम की ओर से मंहगी की जगह बाजार में उपलब्ध सस्ती बिजली की खरीद कर आपूर्ति की जाती है और जब मांग कम होती है तो आवष्यकतानुसार दूसरों को बिजली देते भी हैं। यह सारी प्रक्रिया इलेक्ट्रिसिटी एक्सचेंज, बैंकिंग एवं शार्ट टर्म टेण्डर के माध्यम से की जाती हैं।
बैठक में बताया गया कि गत वर्ष बाजार से सस्ती दर पर एक हजार करोड़ की बिजली खरीद कर 350 करोड़ रुपए की बचत हुई और सरप्लस पावर को बेचकर 389 करोड़ की आय भी हुई। चालू वित्तीय वर्ष में शुरू के दो माह अप्रेल व मई में ही अच्छी रेट मिलने पर 300 करोड़ की बिजली का बेचान किया गया है। इसके साथ ही केन्द्रीय उपक्रमों की ओर स्थापित 5 पावर प्लान्ट, जिनसे मंहगी बिजली की खरीद का एग्रीमेन्ट किया हुआ था। इन पावर प्लांटो से बिजली नही खरीदने की अनुमती भारत सरकार की ओर से प्रदान कर दी है। इस वजह से राज्य सरकार कोे 200 करोड़
का फायदा होगा।
ऊर्जा मंत्री ने विद्युत निगमों के कार्यों की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि सरकारी विभागों पर बकाया राशि की वसूली के लिए उच्च स्तर पर प्रयास किए जाए। उन्होंने कहा कि फ्रेन्चाईजी क्षेत्रों में उपभोक्ताओं की शिकायतों का प्राथमिकता से समाधान हो और विजिलेंस चैकिंग
की कार्रवाई विजिलेंस एप से की जाए।