scriptजयपुर — निवेश के नाम पर डॉक्टर ने की धोखाधड़ी, 90 डॉक्टर्स से ठगे 60 करोड़ | Jaipur - Doctor's fraud in the name of investment, fraud by 90 doctors | Patrika News

जयपुर — निवेश के नाम पर डॉक्टर ने की धोखाधड़ी, 90 डॉक्टर्स से ठगे 60 करोड़

locationजयपुरPublished: Jul 19, 2019 01:23:41 am

Submitted by:

Dinesh Gautam

राजधानी जयपुर में एक ऐसा डॉक्टर है जिसके पास किसी मर्ज का इलाज नहीं, लेकिन धोखा जरूर मिलेगा। जी हां…ऐसे ही एक डॉक्टर को एसओजी ने पकड़ा है जिसने न सिर्फ लोगों को ठगा, बल्कि अपने ही पेशे से जुड़े नए लोगों को जल्द अमीर बनने का सब्जबाग दिखा ठगी का शिकार बना डाला। करीब 90 डॉक्टर्स से 60 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी कर ली।

जयपुर — निवेश के नाम पर डॉक्टर ने की धोखाधड़ी, 90 डॉक्टर्स से ठगे 60 करोड़

जयपुर — निवेश के नाम पर डॉक्टर ने की धोखाधड़ी, 90 डॉक्टर्स से ठगे 60 करोड़

राजधानी जयपुर में एक ऐसा डॉक्टर है जिसके पास किसी मर्ज का इलाज नहीं, लेकिन धोखा जरूर मिलेगा। जी हां…ऐसे ही एक डॉक्टर को एसओजी ने पकड़ा है जिसने न सिर्फ लोगों को ठगा, बल्कि अपने ही पेशे से जुड़े नए लोगों को जल्द अमीर बनने का सब्जबाग दिखा ठगी का शिकार बना डाला। करीब 90 डॉक्टर्स से 60 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी कर ली। एसओजी ने आरोपी डॉक्टर समेत उसकी हसीन पार्टनर और एक साथी को भी पकड़ा है। एसओजी ने गुरुवार को कोर्ट में पेश कर आरोपियों को 22 जुलाई तक पुलिस रिमांड पर लिया है। इस गिरोह पर पहले भी मामले दर्ज हो चुके है।

एसओजी के एडीजी अनिल पालीवाल ने बताया कि पकड़ा गया आरोपी कीर्तिनगर टोंक रोड हाल मानसरोवर वीटी रोड स्काई टेरीसेज निवासी अमित शर्मा, जोबनेर आला का बास निवासी डॉ रामलखन डिसानिया और आदर्शनगर जनता कॉलोनी में शिवनगर की रहने वाली नेहा जैन है। बीते दिनों करीब 36 डॉक्टर्स एसओजी पहुंचे और डॉ रामलखन डिसानिया और उसके गिरोह के बारे में शिकायत दी। उसके ठगने के तरीके की भी जानकारी दी।

डॉक्टर्स को शिकार बनाने के लिए डॉ डिसानिया इस कदर फांसता था कि सामने वाला भंवर में उलझ जाए। जेब से खर्च भी नहीं करना पड़ेगा और जो लोन दिलाया जा रहा है वह तो निवेश कराने वाली कंपनी भुगत लेगी, आपको कुछ ही समय में लाखों रुपए भी मिलेंगे। लोन किस बहाने से किस बैंक से लेना है सब डॉ डिसानिया ही तय करता था। इसके लिए गिरोह के आदमी घर पर जाकर पूरी जानकारी देते और दस्तावेज भी तैयार कराते। शिकार को तो महज कुछ दस्तावेज देने होते और कागजों पर दस्तख्त करने होते थे।

शिकार हुए चिकित्सकों का कहना था कि होटलों में आरोपी डॉक्टर लक्जरी पार्टियां देता था। वहां पर लोगों को इसी तरह से निवेश करने और मोटा मुनाफा कमाने की बातें किया करता था। उसकी पार्टियों में शराब और शवाब के जलवे देखकर अच्छा भला इंसान बहक जाता और ऐसी ही लाइफ जीने की सोचता। फिर डॉ डिसानिया के फैलाए भंवर में फंसता ही चला जाता। कितने ही रुपए निवेश में लगा दिए इसकी भी परवाह नहीं करता। लोगों के रूपए लेडॉक्टर ने बनाया डाक्टर्स को शिकार, एसओजी पहुंचेकर डॉ डिसानिया और उसके गिरोह ने महंगे बाजारों में दफ्तर ले रखे थे।

अपने शौक और लाइफ स्टाइल का डॉ डिसानिया जमकर नुमाइश करता। अपने साथियों के साथ मिलकर ऐसा नाटक रचता जैसे पैसे कमाए नहीं जा रहे बल्कि बरस रहे हो। नए डॉक्टर्स के सामने तो साथियों पर रुपए बरसाकर खर्च करता था। ऐसी लाइफ को देख नए डॉक्टर्स उसके बताए कारोबार में निवेश पर आसानी से तैयार हो जाते।

वैसे तो नेहा डॉ डिसानिया की पर्सनल सेक्रेटरी थी, लेकिन कई जगहों पर उसे पार्टनर भी बना रखा था। बताया जाता है कि जिस डॉक्टर को डिसानिया दफ्तर लाता, उसके बाद नेहा ही उसको अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में फंसाकर निवेश के लिए तैयार करती। यहां तक की डिसानियां के लिए पूरा काम तो देखती ही थी सामने वाली पार्टी को क्या और कब पसंद ही इसकी भी जानकारी जुटाकर सरप्राइज देती थी। जिसके बाद सामने वाला लट्टू हो जाता और निवेश करने में तुरंत हामी भर लेता।
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