आराध्यदेव गोविंददेवजी मंदिर में आज सुबह परंपरागत रथयात्रा निकाली गई। श्री विग्रह गौर-गोविंद को चांदी के रथ में विराजमान कर गर्भगृह की परिक्रमा करवाई गई। मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी और मंदिर प्रवक्ता मानस गोस्वामी ठाकुरजी के रथ को खींच कर परंपरा का निर्वहन किया। मंदिर के पश्चिम द्वार से निज मंदिर तक माध्व गौड़ीय संप्रदाय की परम्परा के अनुसार भजन मंडली के साथ हरिनाम संकीर्तन करते हुए चल रहे थे। रथ में अष्ट धातु निर्मित गौर-गोविंद का विग्रह पर जयकारों और भजनों की मधुर स्वर लहरियों के बीच पुष्प वर्षा की गई। चार परिक्रमा करा गौर गोविंद को फिर से गर्भगृह में विराजमान कराया गया। मंदिर प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि कोविड-19 के चलते किए गए लॉकडाउन से श्रद्धालुओं का मंदिर में प्रवेश निषेध रखा गया है। श्रद्धालुओं को रथायात्रा उत्सव के दर्शन ऑनलाइन करवाए गए। उन्होंने बताया कि गौर गोविंद का विग्रह अष्ट धातु का है, जो गोविंददेवजी के दायीं ओर प्रतिष्ठित है। यह विग्रह गौरांग महाप्रभु ने उड़ीसा के नीलाचंल से अपने प्रिय काशीश्वर पंडित के साथ वृंदावन में अपने प्रिय शिष्य रूप गोस्वामी के पास भिजवाया था।
सजी रथयात्रा की झांकी पानों का दरीबा स्थित आचार्य पीठ सरस निकुंज में सुबह 9 बजे ठाकुरश्री राधा सरस बिहारीजी सरकार की शृंगार सेवा के बाद उन्हें निज मंदिर में रथ में विराजमान कर यात्रा करवाई गई। इससे पहले ठाकुरजी के केसर चंदन का लेप कर नवीन पोशाक धारण कराई गई। शुक पीठाधीश्वर अलबेली माधुरी शरण महाराज ने ठाकुरजी को विविध लाड सेवा करते हुए मधुर व्यंजनों का भोग अर्पित किया। इस मौके पर रथयात्रा झांकी की पदावली का गायन किया गया।