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चांदी के रथ में विराज गौर गोविन्द ने संकीर्तन के साथ की प्रदक्षिणा, भक्तों को ऑनलाइन दिए दर्शन

locationजयपुरPublished: Jun 23, 2020 03:36:39 pm

Submitted by:

Devendra Singh

rathyatra utsav 2020: आषाढ़ शुक्ल द्वितीया मंगलवार को उड़ीसा के पूरी सहित देशभर में रथयात्रा महोत्सव मनाया जा रहा है। आज सुबह राजधानी जयपुर के मंदिरों में रथयात्रा उत्सवों का आयोजन किया गया। इस मौके पर मंदिरों में उत्सव की झांकियां सजाई गई। हालांकि, केंद्र सरकार की गाइडलाइन के कारण इस बार रथयात्रा उत्सव के दौरान भक्तों को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया गया और न ही भक्तों को भगवान का रथ खींचने का सौभाग्य मिला। भक्तों को ऑनलाइन दर्शन कर संतोष करना पड़ा।

 रथयात्रा उत्सव

गोविंददेवजी मंदिर में गौर गोविंद के विग्रह को परिक्रमा करवाते महंत परिवार

जयपुर। आषाढ़ शुक्ल द्वितीया मंगलवार को उड़ीसा के पूरी सहित देशभर में रथयात्रा महोत्सव मनाया जा रहा है। आज सुबह राजधानी जयपुर के मंदिरों में रथयात्रा उत्सवों का आयोजन किया गया। इस मौके पर मंदिरों में उत्सव की झांकियां सजाई गई। हालांकि, केंद्र सरकार की गाइडलाइन के कारण इस बार रथयात्रा उत्सव के दौरान भक्तों को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया गया और न ही भक्तों को भगवान का रथ खींचने का सौभाग्य मिला। भक्तों को ऑनलाइन दर्शन कर संतोष करना पड़ा।
आराध्यदेव गोविंददेवजी मंदिर में आज सुबह परंपरागत रथयात्रा निकाली गई। श्री विग्रह गौर-गोविंद को चांदी के रथ में विराजमान कर गर्भगृह की परिक्रमा करवाई गई। मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी और मंदिर प्रवक्ता मानस गोस्वामी ठाकुरजी के रथ को खींच कर परंपरा का निर्वहन किया। मंदिर के पश्चिम द्वार से निज मंदिर तक माध्व गौड़ीय संप्रदाय की परम्परा के अनुसार भजन मंडली के साथ हरिनाम संकीर्तन करते हुए चल रहे थे। रथ में अष्ट धातु निर्मित गौर-गोविंद का विग्रह पर जयकारों और भजनों की मधुर स्वर लहरियों के बीच पुष्प वर्षा की गई। चार परिक्रमा करा गौर गोविंद को फिर से गर्भगृह में विराजमान कराया गया। मंदिर प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि कोविड-19 के चलते किए गए लॉकडाउन से श्रद्धालुओं का मंदिर में प्रवेश निषेध रखा गया है। श्रद्धालुओं को रथायात्रा उत्सव के दर्शन ऑनलाइन करवाए गए। उन्होंने बताया कि गौर गोविंद का विग्रह अष्ट धातु का है, जो गोविंददेवजी के दायीं ओर प्रतिष्ठित है। यह विग्रह गौरांग महाप्रभु ने उड़ीसा के नीलाचंल से अपने प्रिय काशीश्वर पंडित के साथ वृंदावन में अपने प्रिय शिष्य रूप गोस्वामी के पास भिजवाया था।

सजी रथयात्रा की झांकी

पानों का दरीबा स्थित आचार्य पीठ सरस निकुंज में सुबह 9 बजे ठाकुरश्री राधा सरस बिहारीजी सरकार की शृंगार सेवा के बाद उन्हें निज मंदिर में रथ में विराजमान कर यात्रा करवाई गई। इससे पहले ठाकुरजी के केसर चंदन का लेप कर नवीन पोशाक धारण कराई गई। शुक पीठाधीश्वर अलबेली माधुरी शरण महाराज ने ठाकुरजी को विविध लाड सेवा करते हुए मधुर व्यंजनों का भोग अर्पित किया। इस मौके पर रथयात्रा झांकी की पदावली का गायन किया गया।
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