यह भी पढ़ें
JLF-2018: प्रो.गुलाब कोठारी की ‘O MY MIND’ बुक लांच
इस दौरान संजोय ने सभी पैनेलिस्ट से कहा कि आपको बता दूं कि ये ना उड़ीया रसगुल्ला है और ना ही बंगाली रसगुल्ला, ये ‘राजस्थानी’ रसगुल्ला है। फिर धीरे-धीरे चर्चा ‘बंगाली’ होने की डेफिनेशन पर जा टिकी। इस दौरान सबसे पहले सुदीप चक्रवर्ती ने अपनी बुक के जरिए बंगाली होने की डिफिनेशन बताई। थोड़ी देर में डिस्कशन बंगाली और गैर बंगाली की ओर बढ़ने लगा, जिसमें अप्रवासी बंगाली कॉन्फिलिक्ट, बांग्लादेश के बंगालियों का भाषाई प्रेम और यंग बंगाल (यंगस्टर्स) की सोच में आने वाले बदलावों पर भी चर्चा हुई। यह भी पढ़ें