बुधवार को महापौर ने पिंक सिटी प्रेसक्लब में चाय पर चर्चा के दौरान कुत्तों को भगवान का दर्जा दे दिया। बोले, कुत्तों को भगवान का रूप भैंरू जी माना है। गाय को लक्ष्मी जी और नंदी को भगवान शंकर का रूप माना है। हालांकि इससे पहले वे सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए सीमित कार्रवाई की बात कही, लेकिन जब भावुक हुए तो कौन सा जानवर किसका अवतार है, इसके बारे में भी बताया। लाटा इतने भावुक हो गए कि वे ये भी भूल गए कि जिन कुत्तों को वो भगवान का रूप बता रहे हैं, उन्हीं की वजह से कई मासूम अस्पतालों में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। अब तक निगम की ओर से इनकी कोई आर्थिक सहायता भी नहीं की गई है।
महापौर बातों-बातों में यह भूल गए कि जिस बैल को वे नंदी का रूप बता रहे हैं। उसी ने चौड़ा रास्ता में एक विदेशी पर्यटक की जान ले ली थी। इससे न सिर्फ राज्य में, बल्कि विश्वस्तर पर जयपुर की किरकिरी हुई थी। आज भी पर्यटन स्थलों के आस-पास कमोवेश वैसी ही स्थिति है।
श्वानों के व्यवहार में बदलाव क्यों आया, पता लगाएं जयपुर में लगातार बढ़ रहे श्वानों के काटने की घटनाओं पर आखिरकार जिला कलक्टर भी हरकत में आ गए हैं। कलक्टर जगरूप सिंह यादव ने नगर निगम आयुक्त को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं कि अचानक श्वानों के काटने की घटनाएं बढ़ रही हैं। ऐसे में पता लगाएं कि श्वानों के व्यवहार में बदलाव क्यों आ रहा है? कलक्टर ने पशु चिकित्सक को शामिल कर एक कमेटी बनाकर विश्लेषण करने के निर्देश दिए हैं।