स्वास्थ्य निरीक्षक मुकेश कुमार सैनी ने कोतवाली में मुकदमा दर्ज करवाया था। जिसमें कहा था कि नगर परिषद सभापति ने घर बुलाकर ठेकेदार की ओर से पेश 340 श्रमिकों के बिल पर हस्ताक्षर करने को कहा। सैनी ने कहा कि उनकी ओर से 190 सफाई श्रमिक कार्यरत होने की रिपोर्ट भेजी जा चुकी थी। इसी वजह से उसने बिल के प्रमाणीकरण करने से इनकार कर दिया। जिस पर उससे मारपीट की।
गुर्जर ने जमानत याचिका में कहा कि पूरा मामला राजनीति से प्रेरित है। राजनीति के चलते ही उनको पद से हटाया गया था। उसके खिलाफ जो 11 मामले पेंडिंग बताए गए हैं उनमें से एक को छोड़कर सभी में राजीनामा हो चुका है। ऐसे में उसे अग्रिम जमानत का लाभ दिया जाना चाहिए।
वहीं परिवादी मुकेश के अधिवक्ता रजनीश गुप्ता ने विरोध करते हुए कहा याचिकाकर्ता आदतन अपराधी है पुलिसकर्मियों से मारपीट तक के मामले दर्ज रहे हैं। उससे जबरन फर्जी बिलों पर हस्ताक्षर करवाने की कोशिश की गई है। वहीं सरकारी अधिवक्ता ने भी जमानत याचिका का विरोध किया। जिसके बाद न्यायाधीश एनएस ढढ्ढा ने अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया।