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सीतापुरा से अम्बाबाड़ी तक मेट्रो : पीपीपी मॉडल पर नहीं, गहलोत सरकार अपने स्तर पर कराएगी निर्माण!

locationजयपुरPublished: Jan 06, 2020 10:36:19 am

Submitted by:

Bhavnesh Gupta

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सीतापुरा से अम्बाबाड़ी तक मेट्रो : पीपीपी मॉडल पर नहीं, गहलोत सरकार अपने स्तर पर कराएगी निर्माण!,सीतापुरा से अम्बाबाड़ी तक मेट्रो : पीपीपी मॉडल पर नहीं, गहलोत सरकार अपने स्तर पर कराएगी निर्माण!,सीतापुरा से अम्बाबाड़ी तक मेट्रो : पीपीपी मॉडल पर नहीं, गहलोत सरकार अपने स्तर पर कराएगी निर्माण!

जयपुर। जयपुर मेट्रो के फेज-2 का निर्माण सरकार अपने स्तर पर कराएगी। इसके लिए विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने का काम चल रहा है। इस बार इसमें फोकस प्रोजेक्ट लागत को कम करने पर है। इसके लिए मेट्रो स्टेशनों को फेज-1 के स्टेशनों की तरह ज्यादा भव्य और विशाल आकार में न बनाकर छोटा और सामान्य डिजाइन वाले बनाने पर विचार किया जा रहा है। यूडीएच मंत्री ने साफ संकेत दिए हैं कि पीपीपी मॉडल पर नहीं होगा।
जयपुर मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के अधिकारियों के मुताबिक फेज दो में लागत के अलावा जगह (जमीन या स्थान) उपलब्ध होना भी एक बड़ा चैलेंज है। इसी के चलते स्टेशनों की साइज को छोटा किए जा सकता है। इसके अलावा प्रोजेक्ट के एलीवेटेड कॉरिडोर की चौड़ाई को भी कुछ कम करके लागत में कटौती की जा सकती है। इस चौड़ाई को 15 फीसदी तक घटाया जा सकता है। दिल्ली व चेन्नई में भी मेट्रो प्रोजेक्ट लागत को कम करने और कम जगह की उपलब्धता को देखते हुए ऐसा किया गया है। इसके लिए हम डीपीआर में संशोधन कर रहे है, जो फरवरी तक बनकर तैयार हो जाएगी।
10 हजार करोड़ से ज्यादा लागत
वर्ष 2014 में तैयार की गई डीपीआर में अंकित है कि परियोजना के लिए 875 करोड़ रुपए लागत की भूमि अवाप्त करनी पड़ेगी। इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट के लिए की लागत लगभग 9500 करोड़ रुपए आएगी। लेकिन अब समय निकलने के साथ ही लागत में भी वृद्धि हो गई। इसे देखते हुए ही लागत को कम करने पर विशेष फोकस किया जा रहा है। बढ़ी हुई लागत से परियोजना को मूर्तरूप देने में काफी कठिनाई आएगी।
पूरा प्रोजेक्ट एलीवेटेड
कॉस्टकटिंग के तहत ही इस पूरे प्रोजेक्ट को एलीवेटेड बनाया जाएगा। पहले डीपीआर में रूट के कुछ हिस्से को अण्डरग्राउण्ड किया जाना प्रस्तावित था। अण्डरग्राउण्ड प्रोजेक्ट की लागत लगभग 550 करोड़ रुपए का अनुमान लगाया था, जबकि एलीवेटेड का खर्चा 200 करोड़ तक। ऐसे में नई डीपीआर में इस प्रोजेक्ट की सम्पूर्ण लागत को 10 हजार करोड़ से भी कम पर लाने का प्रयास किया जाएगा।
केन्द्र से भी लेंगे आर्थिक मदद
फेज दो के निर्माण के लिए कॉस्ट कटिंग के अलावा अन्य वित्तीय संसाधन भी जुटाए जाएंगे। इसके लिए केन्द्र सरकार से भी फण्ड मांगा जाएगा। हालांकि, मेट्रो प्रोजेक्ट में केन्द्र और राज्य सरकार की हिस्सेदारी 50-50 प्रतिशत की होती है।
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