और खर्चा कम करने की कवायद
—फेज—02 की डीपीआर को नए सिरे से बनाने की बात भी बजट में कही गई है। इसमें बीटू बाइपास और लक्ष्मी मंदिर तिराहे जेडीए की नो ट्रैफिक लाइट में शामिल हैं। ऐसे में यहां पर मेट्रो डीपीआर में बदलाव करेगा। साथ ही ऐसा माना जा रहा है मेट्रो लाइट तकनीक पर ये रूट आगे बढ़ेगा। इसमें प्लेटफॉर्म को छोटा किया जाएगा। इससे 3500 करोड़ रुपए खर्चा आने की संभावना है।
—मेट्रो लाइट तकनीक का उपयोग अभी दिल्ली में किया जा रहा है। कीर्ति नगर से द्वारका रूट का काम चल रहा है। इसके 19 किमी के रूट को इसी तकनीक पर बनाया जा रहा है। इसमें करीब 2600 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
—फेज—02 की डीपीआर को नए सिरे से बनाने की बात भी बजट में कही गई है। इसमें बीटू बाइपास और लक्ष्मी मंदिर तिराहे जेडीए की नो ट्रैफिक लाइट में शामिल हैं। ऐसे में यहां पर मेट्रो डीपीआर में बदलाव करेगा। साथ ही ऐसा माना जा रहा है मेट्रो लाइट तकनीक पर ये रूट आगे बढ़ेगा। इसमें प्लेटफॉर्म को छोटा किया जाएगा। इससे 3500 करोड़ रुपए खर्चा आने की संभावना है।
—मेट्रो लाइट तकनीक का उपयोग अभी दिल्ली में किया जा रहा है। कीर्ति नगर से द्वारका रूट का काम चल रहा है। इसके 19 किमी के रूट को इसी तकनीक पर बनाया जा रहा है। इसमें करीब 2600 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
सैटेलाइट टाउन के लिए मेट्रो नियो होगा विकल्प
—बजट में राजधानी के आस—पास चाकसू, बस्सी, चौमूं, बगरू, फागी और चंदवाजी को सैटेलाइट टाउन की घोषणा की गई है। साथ ही मेट्रो से जोड़ने की बात भी कही है। ऐसा माना जा रहा है कि मेट्रो नियो तकनीक से इसको जोड़ा जाएगा।
—अभी देश में इस परिहवन प्रणाली का उपयोग कहीं नहीं किया गया है। नासिक में इसे लागू किया जाएगा।