जानकारी के अनुसार देश में कहीं भी ट्रेनों के संचालन से पहले उनका सुरक्षा मानकों पर परीक्षण होता है। रेलवे के मुख्य सुरक्षा आयुक्त सुरक्षा मापदंडों को जांचने के लिए रेलवे ट्रेक और ट्रेन का निरीक्षण करते हैं। मानसरोवर से चांदपोल तक मेट्रो रेल चलाने से पहले यह निरीक्षण हुआ था। चांदपोल से बड़ी चौपड़ तक मेट्रो ट्रेन कमर्शियल रन शुरू करने से पहले सीआरएस इंस्पेक्शन करेंगे। सीआरएस से हरी झंडी मिलने के बाद ही चांदपोल से बड़ी चौपड़ तक भूमिगत मेट्रो ट्रेन का संचालन शुरू होगा। फिलहाल सीआरएस के इंस्पेक्शन का कोई कार्यक्रम जयपुर मेट्रो ने जारी नहीं किया है। ऐसे में मार्च 2020 में चांदपोल से बड़ी चौपड़ तक भूमिगत मेट्रो चलाने का दावा खटाई में पड़ता दिख रहा है। साथ ही छोटी चौपड़ और बड़ी चौपड़ अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन के फिनिशिंग वर्क भी अभी तक पूरे नहीं हुए हैं। उनमें भी एक पखवाड़ा लगने की संभावना है। भूमिगत मेट्रो का फिनिशिंग वर्क होने के बाद ही सीआरएस का इंस्पेक्शन शुरू हो पाएगा।
यूं होती गई देरी गौरतलब है कि भूमिगत मेट्रो ट्रेन परियोजना का शिलान्यास तत्कालीन प्रधानमंत्री डाॅ मनमोहन सिंह ने सितम्बर 2013 में किया था। इसके 2 साल बाद 2015 में चांदपोल से बड़ी चौपड़ तक मेट्रो का काम शुरू हुआ। दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन को मार्च 2018 तक अंडरग्राउंड मेट्रो का काम पूरा करना था। लेकिन काम पूरा नहीं हुआ तो नई डैडलाइन सितम्बर 2018 तय कर दी गई। अधूरे प्रोजेक्ट के कारण डैडलाइन दिसम्बर 2018 की गई। इसी दौरान प्रदेश में सरकार बदली तो नई सरकार ने डैडलाइन अप्रैल—मई 2019 तय की। इस अवधि तक भी प्रोजेक्ट का काम पूरा नहीं हुआ तो अब डैडलाइन अक्टूबर—नवम्बर 2019 तय की है। राज्य सरकार ने नई डैडलाइन 31 मार्च 2020 तय की है।
325 करोड़ महंगा हो गया प्रोजेक्ट
जयपुर मेट्रो फेज—1बी की 2011 में बनी डीपीआर में 2.349 किमी लम्बाई वाली अंडरग्राउंड मेट्रो की अनुमानित लागत 886 करोड़ थी। जो 2019 में बढ़कर 1,126 करोड़ से ज्यादा हो गई है। काम पूरा होने तक लागत का आंकड़ा 1,225 करोड़ के पार जा सकता है। 2015 में चांदपोल से बड़ी चौपड़ तक भूमिगत मेट्रो के लिए सुरंग खोदने का काम शुरू हुआ तब तक 2011 की डीपीआर में अनुमानित लागत में ही प्रोजेक्ट पूरा होने की उम्मीद थी। लेकिन परियोजना में बार—बार हो रही देरी के कारण अनुमानित लागत का आंकड़ा 886 करोड़ से बढ़कर वास्तविक लागत 1,200 करोड़ रूपए तक पहुंच जाएगा। ऐसे में पौने दो साल की देरी जनता को 325 करोड़ रूपए में पड़ेगी।
जयपुर मेट्रो फेज—1बी की 2011 में बनी डीपीआर में 2.349 किमी लम्बाई वाली अंडरग्राउंड मेट्रो की अनुमानित लागत 886 करोड़ थी। जो 2019 में बढ़कर 1,126 करोड़ से ज्यादा हो गई है। काम पूरा होने तक लागत का आंकड़ा 1,225 करोड़ के पार जा सकता है। 2015 में चांदपोल से बड़ी चौपड़ तक भूमिगत मेट्रो के लिए सुरंग खोदने का काम शुरू हुआ तब तक 2011 की डीपीआर में अनुमानित लागत में ही प्रोजेक्ट पूरा होने की उम्मीद थी। लेकिन परियोजना में बार—बार हो रही देरी के कारण अनुमानित लागत का आंकड़ा 886 करोड़ से बढ़कर वास्तविक लागत 1,200 करोड़ रूपए तक पहुंच जाएगा। ऐसे में पौने दो साल की देरी जनता को 325 करोड़ रूपए में पड़ेगी।