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Rajasthan Goverment : Jaipur Municipal Corporation में ‘अफसरी राज’ के आगे फेल Ashok Gahlot की ‘घोषणा’

locationजयपुरPublished: Jan 18, 2020 11:58:12 am

Submitted by:

Pawan kumar

ट्रेड लाईसेंस (Trade Licence) नहीं लिया तो JMC सीज करेगा New Startups or Business Outlet
गहलोत सरकार ने कर रखी है 3 साल छूट की घोषणा
 

trade licence

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gahlot) की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने प्रदेश (Rajasthan State) में नए शुरू होने वाले व्यवसाय या स्टार्टअप (Startups) को 3 साल की अवधि तक किसी भी प्रकार के लाइसेंस या अनुमति लेने की अनिवार्यता से मुक्त रखा है। सरकार ने यह घोषणा प्रदेश में रोजगार बढ़ाने के मकसद से की थी। कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में नए व्यवसाय या स्टार्टअप को 3 साल तक किसी भी प्रकार की अनुमति नहीं लेने की अनिवार्यता का वादा किया था। लेकिन नगर निगम प्रशासन ने गहलोत सरकार की घोषणा के उलट 28 फरवरी 2020 तक अनुज्ञा पत्र नहीं लेने पर बिजनेस बंद या सीज करने की चेतावनी दी है।
ट्रेड लाइसेंस नहीं तो होगी कार्रवाई
नगर निगम ने विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि जयपुर के सभी होटल, रेस्त्रां, कैफे, ढाबा, मिठाई की दुकान, आइसक्रीम फैक्ट्री, मिनरल वॉटर फैक्ट्री, बेकरी, चाट—पकोड़ी स्टॉल, फास्ट फूड या शीतल पेय पदार्थ स्टॉल समेत सभी प्रकार की व्यवसायिक गतिविधियों के लिए ट्रेड लाइसेंस लेना अनिवार्य है। चाहे व्यवसाय पुराना हो या नया सभी के लिए ट्रेड लाइसेंस (अनुज्ञा पत्र) लेना जरूरी है। व्यवसायिक गतिविधियां संचालित करने वाले जिन लोगों के पास अनुज्ञा पत्र नहीं होगा, उनके खिलाफ आउटलेट या भवन सील करने की कार्रवाई की जाएगी।

चुनावी वादा बना था सरकारी घोषणा

गौरतलब है कि राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 के दौरान कांग्रेस ने अपने जन घोषण पत्र में वादा किया था कि प्रदेश में शुरू होने वाले नई व्यवसायिक गतिविधि या स्टार्टअप्स को 3 साल तक किसी भी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। कांग्रेस ने प्रदेश में रोजगार बढ़ाने के मकसद से यह घोषणा की थी। चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार बनते ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जन घोषणा पत्र को राज्य सरकार का दस्तावेज बनाते हुए इसकी क्रियान्विती के लिए मुख्य सचिव को सौंपा था। इसके बाद जन घोषणा पत्र के बाद राज्य सरकार की घोषणा बन गए। मुख्यमंत्री भी कई बार नए शुरू होने वाले बिजनेस को 3 साल तक लाइसेंस या अनुमति की अनिवार्यता से मुक्त रखने की बात कह चुके हैं। इसके बावजूद नगर निगम प्रशासन ने सरकार की घोषणा को मानने से इनकार कर दिया है।
अब निगम में है अफसरों का राज
नगर निगम के मौजूदा बोर्ड का कार्यकाल नवम्बर 2019 में खत्म होने के बाद से राज्य सरकार ने प्रशासक नियुक्त कर रखा है। निगम आयुक्त एवं प्रशासक का जिम्मा विजयपाल सिंह के पास है। पिछले कुछ अर्से से नगर निगम में जनता की सुनवाई नहीं होने की शिकायतें बढ़ गई हैं। क्योंकि अब निगम अधिकारी पार्षदों की नहीं सुन रहे हैं। नगर निगम क्षेत्र भी अब दो हिस्सों में बंट चुका है नगर निगम जयपुर हेरिटेज और नगर निगम ग्रेटर जयपुर। कुछ महीनों बाद दोनों नगर निगमों में चुनाव होने हैं, इसके बाद ही नई शहरी सरकार का गठन होगा, तब तक निगम में अफसरशाही का ही राज रहेगा।
क्या बोले जिम्मेदार –
नगर निगम प्रशासन ने नगर पालिका अधिनियम 2009 के अनुसार विज्ञप्ति जारी की है। जिसमें नए पुराने सभी बिजनेस प्रतिष्ठानों या स्टार्टअप्स के लिए ट्रेड लाइसेंस लेना अनिवार्य किया है। अनुज्ञा पत्र लेने के लिए स्मार्ट राज वेबसाइट पर आवेदन करना होगा। सरकार ने कोई घोषणा की होगी, लेकिन नगर निगम तो नगर पालिका एक्ट के अनुसार ही काम करेगा।
राजेन्द्र कुमार गर्ग, मुख्य स्वाथ्य अधिकारी, नगर निगम जयपुर
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