कहीं बस शेल्टर पर कुर्सियों की जगह केवल लोहे के एंगल मिले, कहीं कुर्सियां टूटी हुई थीं। तय जगह कचरा पात्र नहीं थे या टूटे हुए थे। कई कचरा पात्रों के पैंदा ही नहीं था। शौचालयों में सफाई नहीं थी। जबकि इन व्यवस्थाओं के बदले कंपनी को इस रूट पर ओवरहैड गेन्ट्री, बेस शेल्टर्स, सामुदायिक शौचालय पर विज्ञापन का अधिकार दिया हुआ है।
कहां क्या हालात
– एसएमएस अस्पताल : मुख्य गेट के बाहर सड़क पर कचरा पड़ा मिला। लोगों ने बताया कि स्वीपिंग के बाद कचरा यहीं एकत्र कर दिया जाता है। यहीं मूत्रालय होने के कारण कचरा सड़ता रहता है।
– नारायण सिंह सर्कल: शौचालय के रास्ते के बाहर अतिक्रमण नजर आया। वहां कुछ लोग सो रहे थे। महिलाएं वहां से गुजरने से कतरातीं नजर आईं।
– रिजर्व बैंक के पास: कचरा पात्र उलटा पड़ा था। लोगों को कचरा सड़क पर डालना पड़ रहा था।
– एसएमएस स्टेडियम: कचरा पात्र का स्ट्रक्चर तो था लेकिन नीचे का हिस्सा गायब था।
– नगर निगम मुख्यालय: परिसर के बाहर बने बस शेल्टर में कई जगह कुर्सियां नहीं थीं। जो थीं वे भी टूटी हुई। बदहाल कचरा पात्र दीवार के सहारे रखा हुआ था।
– नेहरू बालोद्यान: सात कचरा पात्र लेकिन छह बदहाल मिले। चार का पैंदा गायब था।
– गांधीनगर स्टेशन: कुर्सियां गायब, यात्री बदहाल बस शेल्टर के नीचे खड़े दिखे। पीछे हिस्से में बिजली के तार निकले हुए थे।
– दुर्गापुरा: एलीवेटेड रोड के नीचे गंदगी थी। लोगों ने कहा, ऊपर या नीचे में से एक ही जगह सफाई होती है।
– बी-2 बायपास: सड़क के कॉर्नर पर बने शौचालय में जाने का रास्ता इतना संकरा है कि आसानी से जाना मुश्किल।
– एसएमएस अस्पताल : मुख्य गेट के बाहर सड़क पर कचरा पड़ा मिला। लोगों ने बताया कि स्वीपिंग के बाद कचरा यहीं एकत्र कर दिया जाता है। यहीं मूत्रालय होने के कारण कचरा सड़ता रहता है।
– नारायण सिंह सर्कल: शौचालय के रास्ते के बाहर अतिक्रमण नजर आया। वहां कुछ लोग सो रहे थे। महिलाएं वहां से गुजरने से कतरातीं नजर आईं।
– रिजर्व बैंक के पास: कचरा पात्र उलटा पड़ा था। लोगों को कचरा सड़क पर डालना पड़ रहा था।
– एसएमएस स्टेडियम: कचरा पात्र का स्ट्रक्चर तो था लेकिन नीचे का हिस्सा गायब था।
– नगर निगम मुख्यालय: परिसर के बाहर बने बस शेल्टर में कई जगह कुर्सियां नहीं थीं। जो थीं वे भी टूटी हुई। बदहाल कचरा पात्र दीवार के सहारे रखा हुआ था।
– नेहरू बालोद्यान: सात कचरा पात्र लेकिन छह बदहाल मिले। चार का पैंदा गायब था।
– गांधीनगर स्टेशन: कुर्सियां गायब, यात्री बदहाल बस शेल्टर के नीचे खड़े दिखे। पीछे हिस्से में बिजली के तार निकले हुए थे।
– दुर्गापुरा: एलीवेटेड रोड के नीचे गंदगी थी। लोगों ने कहा, ऊपर या नीचे में से एक ही जगह सफाई होती है।
– बी-2 बायपास: सड़क के कॉर्नर पर बने शौचालय में जाने का रास्ता इतना संकरा है कि आसानी से जाना मुश्किल।
विज्ञापन की प्राइम लोकेशन
अजमेरी गेट से सांगानेर फ्लाइओवर तक के रूट पर सफाई व सौन्दर्यन के लिए करार किया हुआ है। यहां दो फीट ओवरब्रिज, 20 बस शैल्टर्स, 12 गैन्ट्रीज, 6 सुलभ शौचालय के रखरखाव और रूट की सफाई का जिम्मा एनएस पब्लिसिटी के पास है। सभी प्राइम लोकेशन पर हैं। कंपनी इन जगह विज्ञापन के जरिए कमाई कर रही है लेकिन मुख्य रूट पर ही ज्यादातर जगह बदहाली का आलम है।
अजमेरी गेट से सांगानेर फ्लाइओवर तक के रूट पर सफाई व सौन्दर्यन के लिए करार किया हुआ है। यहां दो फीट ओवरब्रिज, 20 बस शैल्टर्स, 12 गैन्ट्रीज, 6 सुलभ शौचालय के रखरखाव और रूट की सफाई का जिम्मा एनएस पब्लिसिटी के पास है। सभी प्राइम लोकेशन पर हैं। कंपनी इन जगह विज्ञापन के जरिए कमाई कर रही है लेकिन मुख्य रूट पर ही ज्यादातर जगह बदहाली का आलम है।
इधर ली फुट ओवरब्रिज की सुध
विज्ञापन के जरिए चांदी कूटने के बावजूद अब तक बदहाल रहे फुट ओवरब्रिज की आखिरकार सुध ली गई है। पत्रिका ने रविवार को खबर प्रकाशित की, उसके बाद महापौर व अधिकारियों ने मौका देखा और कंपनी के प्रतिनिधियों को फटकार लगाई। तीन दिन में सुधार का पत्र भी सौंपा। इस बीच नारायण सिंह सर्कल पर बने फुट ओवरब्रिज पर एस्केलेटर में बच्चा का पैर फंस गया। गनीमत रही कि बड़ा हादसा होने से बचा गया। सोमवार को यहां सुधार कार्य शुरू करा दिया गया।
विज्ञापन के जरिए चांदी कूटने के बावजूद अब तक बदहाल रहे फुट ओवरब्रिज की आखिरकार सुध ली गई है। पत्रिका ने रविवार को खबर प्रकाशित की, उसके बाद महापौर व अधिकारियों ने मौका देखा और कंपनी के प्रतिनिधियों को फटकार लगाई। तीन दिन में सुधार का पत्र भी सौंपा। इस बीच नारायण सिंह सर्कल पर बने फुट ओवरब्रिज पर एस्केलेटर में बच्चा का पैर फंस गया। गनीमत रही कि बड़ा हादसा होने से बचा गया। सोमवार को यहां सुधार कार्य शुरू करा दिया गया।