एक्सईएन पहुंचे तो चर्चा शुरू
कार्यक्रम में जेडीए के कई एक्सईएन पहुंचे। एक दूसरे से चर्चा कर रहे थे तो बात सामने आई कि शनिवार शाम को ही कार्यक्रम में शामिल होने के लिए फोन आया था। एक एक्सईएन ने तो यहां तक कहा कि लगता है कि भीड़ की वजह से बुलाया है।
कार्यक्रम में जेडीए के कई एक्सईएन पहुंचे। एक दूसरे से चर्चा कर रहे थे तो बात सामने आई कि शनिवार शाम को ही कार्यक्रम में शामिल होने के लिए फोन आया था। एक एक्सईएन ने तो यहां तक कहा कि लगता है कि भीड़ की वजह से बुलाया है।
शहरवासी भी कर सकते हैं इस पद्धति का उपयोग
—स्थानीय प्रजाति के पौधों का ही चयन किया जाना चाहिए। जमीन पौधे के अनुकूल हो।
—जमीन को 3 फीट गहरा खोदें। अब मिट्टी कैसी है यहां किस तरह के पौधे उगाए जा सकते हैं, इसकी जांच करें।
—मिट्टी बेहतर करने के लिए इसमें चावल का भूसा, गोबर, जैविक खाद या नारियल के छिलके डालकर ऊपर से मिट्टी डाल दें।
—पहले से नर्सरी में उगाए गए पौधों को आधे-आधे मीटर की दूरी पर इस मिट्टी में लगाएं।
—इसके लिए तीन तरह के पौधे – झाड़ीनुमा पौधे, मध्यम आकार के पेड़ और इन दोनों पर छांव, नमी और सुरक्षा देने वाले बड़े पेड़ लगाएं। ये पौधे एक-दूसरे को बढ़ने और जमीन की नमी बरकरार रखने में मदद करते हैं।
—पौधों को लगाने के बाद इसके इर्द-गिर्द घास-फूस या पत्तियां डाल दें ताकि धूप मिट्टी की नमीं को खत्म न कर सके।
—समय—समय पर पानी डालते रहें और नियमित रूप से देखभाल करते रहें।
—स्थानीय प्रजाति के पौधों का ही चयन किया जाना चाहिए। जमीन पौधे के अनुकूल हो।
—जमीन को 3 फीट गहरा खोदें। अब मिट्टी कैसी है यहां किस तरह के पौधे उगाए जा सकते हैं, इसकी जांच करें।
—मिट्टी बेहतर करने के लिए इसमें चावल का भूसा, गोबर, जैविक खाद या नारियल के छिलके डालकर ऊपर से मिट्टी डाल दें।
—पहले से नर्सरी में उगाए गए पौधों को आधे-आधे मीटर की दूरी पर इस मिट्टी में लगाएं।
—इसके लिए तीन तरह के पौधे – झाड़ीनुमा पौधे, मध्यम आकार के पेड़ और इन दोनों पर छांव, नमी और सुरक्षा देने वाले बड़े पेड़ लगाएं। ये पौधे एक-दूसरे को बढ़ने और जमीन की नमी बरकरार रखने में मदद करते हैं।
—पौधों को लगाने के बाद इसके इर्द-गिर्द घास-फूस या पत्तियां डाल दें ताकि धूप मिट्टी की नमीं को खत्म न कर सके।
—समय—समय पर पानी डालते रहें और नियमित रूप से देखभाल करते रहें।
मियावाकी पद्धति के लाभ –
—दो तीन वर्ष तक इन पौधों की देखरेख करनी होगी। उसके बाद ये आत्मनिर्भर हो जाएंगे।
—इस तकनीक की मदद से 2 फीट चौड़ी और 30 फीट पट्टी में 100 से भी अधिक पौधे रोपे जा सकते हैं।
—बहुत कम खर्च में पौधे को 10 गुना तेजी से उगाने के साथ 30 गुना ज्यादा घना बनाया जा सकता है।
—कम जगह में लगे घने पौधे ऑक्सीजन बैंक की तरह काम करते हैं। इस तकनीक का इस्तेमाल वन क्षेत्र में ही नहीं घरों के आसपास भी किया जा सकता है।
—दो तीन वर्ष तक इन पौधों की देखरेख करनी होगी। उसके बाद ये आत्मनिर्भर हो जाएंगे।
—इस तकनीक की मदद से 2 फीट चौड़ी और 30 फीट पट्टी में 100 से भी अधिक पौधे रोपे जा सकते हैं।
—बहुत कम खर्च में पौधे को 10 गुना तेजी से उगाने के साथ 30 गुना ज्यादा घना बनाया जा सकता है।
—कम जगह में लगे घने पौधे ऑक्सीजन बैंक की तरह काम करते हैं। इस तकनीक का इस्तेमाल वन क्षेत्र में ही नहीं घरों के आसपास भी किया जा सकता है।
पौधे लगाते समय ध्यान रखें
—बांस, शीशम, पीपल, बरगद जैसे छायादार पौधे लगाएं। बगीचे या घर के पिछले हिस्से में जंगल विकसित करना चाहते हैं तो झाड़ीनुमा पौधे लगाएं ताकि ये छोटे से हिस्से में आसानी से बढ़ सकें।
—अलग तरह के पौधे चुनें। झाड़ीनुमा पौधे, मध्यम लंबाई वाला पौधा और अधिक लंबाई वाला पौधा। इन्हें लगाने का क्रम भी यही रखें ताकि इन्हें बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके।