सेशन की शुरुआत बुकबाइंडिंग के इतिहास, उत्पत्ति, बुनियादी संरक्षण तकनीक, सामग्री, सॉफ्ट बाइंडिंग और हार्ड बाइंडिंग के बारे में परिचयात्मक प्रस्तुति देने के साथ हुई। इसके बाद क्रमबद्ध तरीके से बुकबाइंडिंग का प्रदर्शन किया गया। बुकबाइंडिंग के इतिहास के बारे में बताते हुए राजेन्द्र कुमार ने कहा कि प्राचीन काल में पांडुलिपियों को ‘जुज बाइंडिंग’ नामक विधि से बाऊंड किया जाता था। बाइंडिंग की इस विधि के बारे में बताते हुए कहा पहले पन्नों को एक साथ फोल्ड करके उनकी एक गड्डी बनाई जाती है। इसके बाद, पन्नों को एक साथ चिपकाने के लिए होममेड गोंद का उपयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि पुस्तक के लिए बाहरी कवर चमड़े, हस्तनिर्मित कागज, कपड़े आदि से बनाया जा सकता है।
कार्यक्रम का आयोजन कला एवं संस्कृति विभाग की द्वारा जेकेके और अरेबियन एवं पर्शियन रिसर्च संस्थान, टोंक के सहयोग से किया गया। ऑनलाइन क्लासेस जेकेके के ऑफिशियल फेसबुक पेज पर दर्शकों के लिए उपलब्ध रहेगी।
इससे पहले 8 सितंबर को ‘ऑर्ट ऑफ कैलीग्राफी’ (हिंदी एवं अंग्रेजी) क्लास कलाकार हरिशंकर बालोठिया ने अंग्रेजी और देवनागरी लिपि में ‘आर्ट ऑफ कैलीग्राफी’ की बारीकियां सिखाई। उन्होंने देवनागरी लिपि के लैटर्स, पेन होल्डिंग तकनीक, पेन प्रेशर के साथ-साथ मूवमेंट की दिशा का भी प्रदर्शन किया। 9 सितंबर को ‘ऑर्ट ऑफ कैलीग्राफी’ की क्लास में खुर्शीद आलम ने अरेबिक, पर्शियन और उर्दू कैलीग्राफी की विभिन्न शैलियों के बारे में बताया।