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इंदौर में नगर निगम खुद करवाता सफाई, जयपुर पूरी व्यवस्था ही ठेके पर

locationजयपुरPublished: Nov 22, 2021 05:53:47 pm

Submitted by:

Ashwani Kumar

 
—450 करोड़ रुपए सालाना खर्च होते हैं राजधानी के दोनों नगर निगमों में सफाई के नाम पर
 

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जयपुर। इंदौर के लगातार सफाई में अव्वल आने की पीछे नगर निगम की सक्रियता है। जनप्रतिनधि से लेकर अधिकारी तक बेहद सक्रिय रहते हैं। वहीं, राजधानी जयपुर सहित अन्य निकायों में एक जैसा ही हाल है। स्थिति यह है कि कोई भी निकाय कचरे निस्तारण को लेकर गंभीरता से काम नहीं कर रहा है।
इंदौर घर—घर से कचरा उठवाने के नाम पर हर महीने आठ करोड़ रुपए खर्च करता है। इसका प्रभाव स्वच्छता की रैंकिंग पर साफ दिखाई देता है। पिछले पांच सर्वेक्षणों में पहले स्थान पर आ रहा है। वहीं, राजधानी जयपुर में हर महीने सात करोड़ रुपए घर—घर कचरा संग्रहण पर खर्च करता है। इसके बाद भी स्थिति में कोई सुधार होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है। हैरानी की बात यह है कि राजधानी में सफाई के नाम पर 450 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होते हैं। इंदौर में नगर निगम ही अपने स्तर पर सफाई के सारे काम करता है। जबकि, राजधानी में सफाई व्यवस्था को ठेके पर दे दिया है। स्थिति यह है कि निगरानी का काम भी ठीक से नहीं हो पाता है।

दो बिन्दुओं से समझें: इंदौर इसलिए है आगे और हम रह गए पीछे
इंदौर——
1— 1200 टन कचरे का रोज निस्तारण किया जाता है। 400 टन कचरे को खत्म करने के लिए निगम प्लॉन्ट पर भेजता है। इनसे निगम को सालाना ढाई करोड़ रुपए का राजस्व भी मिलता है। वहीं, 700 टन गीले कचरे से सीएनजी और खाद बनती है। 45 करोड़ निगम कमाता है।
2—सीएनडी वेस्ट (घर निर्माण के दौरान निकलने वाला मलवा) का निस्तारण किया जा रहा है। इससे टाइल बनाई जाती हैं। ये फुटपाथ बनाने के लिए काम में ली जाती है। इससे निगम को 20 करोड़ रुपए की आय भी हो रही है।

जयपुर———
1—1500 टन कचरा रोज निकलता है। इसमें से महज 300 टन कचरे का निस्तारण हो पाता है। वो भी नियमित रूप से नहीं होता। बाकी 1200 टन कचरा डम्पिंग यार्ड पर जाकर डाला जाता है। इसी वजह से कचरे के पहाड़ बढ़ते जा रहे हैं। कचरा उठाने की व्यवस्था भी सही नहीं है। कई जगह तो नियमित रूप से हूपर ही नहीं आते।
2—सीएनडी वेस्ट के निस्तारण को लेकर लम्बे समय से बैठकों में ही बातें हो रही हैं। अब 300 टन क्षमता के प्लॉन्ट को लगाने की प्रक्रिया शुरू हुई है। हैरिटेज नगर निगम ने जमीन का आवंटन किया है। इसके अंक ही जयपुर को स्वच्छता सर्वेक्षण में नहीं मिल पाते हैं।

इंदौर——अपने स्तर पर संसाधन जुटाए
हर महीने खर्चा— आठ करोड़ रुपए।
—700 हूपर, 150 डंपर और बड़ी गाडियां, 25 रोड स्वीपिंग मशीनें, निगरानी के लिए अफसरों के पास 22 गाड़ियां और सात् ट्रांसफर स्टेशन।
जयपुर——निगम खरीदे और किराए पर दिए, कुछ किराए पर लिए
हर महीने खर्चा—सात करोड़ रुपए
—540 हूपर, आठ रोड स्वीपिंग मशीनें हैं। ये सभी किराए पर हैं। हर महीने इन मशीनों का 10 लाख रुपए किराया देता है। अफसरों की निगरानी के नाम पर खानापूर्ति होती है। 15 ट्रांसफर स्टेशन शहर भर में बना रखे हैं। इतना ही नहीं, निगम डेढ़ करोड़ रुपए के 30 हूपर खरीदकर बीवीजी कम्पनी को किराए पर भी दे रखे हैं।
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