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निर्जला एकादशी पर भक्तों ने किए ऑनलाइन किए ठाकुरजी के दर्शन

locationजयपुरPublished: Jun 02, 2020 03:03:03 pm

Submitted by:

Devendra Singh

nirjala ekadashi vrat 2020: पौराणिक मान्यता के अनुसार इस एकादशी पर निर्जल रह कर उपवास करने भर से वर्ष की 24 एकादशियों के व्रत के समान फल मिलता है। इस एकादशी को पांडव पुत्र भीम ने किया था, इसी वजह इसको भीम सैनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। व्रत करने के साथ इस दिन दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन किए गए दान का कई गुना अधिक फल मिलता है।
 
 

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जयपुर। निर्जला एकादशी राजधानी जयपुर सहित प्रदेशभर में आज मंगलवार को भक्तिभाव के साथ मनाई जा रही है। कई लोगों ने आज ठाकुरजी के दर्शन कर निर्जल उपवास रखा। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस एकादशी को निर्जल रह कर उपवास करने भर से वर्ष की 24 एकादशियों के व्रत के समान फल मिलता है। इस एकादशी को पांडव पुत्र भीम ने किया था, इसी वजह इसको भीम सैनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
निर्जला एकादशी पर मंदिरों में झांकियां तो सजी, लेकिन ठाकुरजी को निहारने के लिए भक्त नहीं थे। लॉकडाउन के चलते इस दिन भी श्रद्धालुओं के लिए पट नहीं खुले। जिसके चलते भक्तों को ऑनलाइन या सोशल मीडिया पर दर्शन से ही संतोष करना पड़ा।
आराध्य गोविन्ददेवजी मंदिर में महंत अजंनकुमार गोस्वामी के सान्निध्य में सुक्ष्म स्तर पर आयोजन हुए। सुबह ठाकुरजी का अभिषेक कर नूतन पौशाक धारण करवाई गई। लॉकडाउन के चलते इस बार श्रद्धालु अपने आराध्य के सम्मुख जाकर दर्शन नहीं कर सके। लोगों को ऑनलाइन दर्शन कर ही संतोष करना पड़ा। मानस गोस्वामी ने बताया कि आज शाम ग्वाल झांकी में 5.45 से 6.15 बजे तक जल विहार की झांकी सजाई जाएगी। इसमें ठाकुरजी को चंदन का लेप लगा कर केवडा एवं गुलाब जल युक्त सुगंधित जल से शीतलता प्रदान की जाएगी। उधर पुरानी बस्ती स्थित गोपीनाथ जी के मंदिर में महंत सिद्धार्थ गोस्वामी के सान्निध्य में भगवान का अभिषेक कर पौशाक धारण करवाई गई। देवस्थान विभाग के चांदनी चौक स्थित मंदिर ब्रजनिधिजी में पुजारी भूपेन्द्र कुमार रावल के सान्निध्य में तथा मंदिर श्री आनंदकृष्ण बिहारीजी में पुजारी मातृप्रसाद के सान्निध्य में जल विहार झांकी सजाई गई। इस मौके पर ठाकुरजी को नवीन पौशाक धारण करवा कर ऋतुफलों एवं शीतल व्यंजनों का भोग लगाया गया। इसके बाद पुष्पों से झांकी सजाई जाएगी। गोनेर में भी इस बार लॉकडाउन के कारण लक्ष्मी जगदीश महाराज के मेला नहीं भरा। मंदिर स्थापना के बाद पहली बार निर्जला एकादशी के दिन श्रद्धालुओं के लिए पट नहीं खुले।
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