शुक्र की राशि में सूर्य का परिभ्रमण तपिश का जन्मदाता ज्योतिषाचार्य पं. सुरेश शास्त्री के अनुसार इस नक्षत्र में सूर्य के रहते नौ दिन गर्मी अपने चरम पर होती है। दरअसल, रोहिणी नक्षत्र का स्वामी चंद्रमा है, जो सूर्य के प्रभाव में आ जाता है। गुरु व शनि की वक्री चाल के चलते नौतपा खूब तपेगा। शुक्र की राशि में सूर्य का परिभ्रमण तपिश पैदा करता है, लेकिन 30 मई को शुक्र के अपनी ही राशि वृषभ में अस्त होने के कारण गर्मी में कमी आ जाएगी। नौतपा के आखिरी दो दिन तेज हवा-आंधी चलने व बारिश होने के भी योग हैं। शुक्र रस प्रधान ग्रह है, इसलिए वह गर्मी से राहत भी दिलाएगा। सूर्य प्रारंभ के सात दिनों में खूब तपेगा, लेकिन बाद के दो दिन मौसम में परिवर्तन आएगा। देखा जाए तो ग्रह गोचर की स्थिति के अनुसार इस बार अच्छी वर्षा के संकेत नजर आ रहे हैं।
पृथ्वी और सूर्य की दूरी हो जाती है कम ज्योतिषाचार्य डॉ. रवि शर्मा ने बताया कि दरअसल रोहिणी नक्षत्र में सूर्य के प्रवेश के दौरान नौतपा आरंभ होता है और इन नौ दिनों में सूर्य की किरणें सीधी धरती पर अपनी तपिश छोड़ती हैं जिस कारण इन नौ दिनों में भीषण गर्मी पड़ती है। रोहिणी नक्षत्र में सूर्य के प्रवेश करते ही धरती और सूर्य के बीच की दूरी काफी कम हो जाती है जिससे धरती पर तपन बढ़ती है। इसलिए नौतपा के नौ दिन काफी गर्म और झुलसा देने वाले होते हैं। रोहिणी नक्षत्र में सूर्य के प्रवेश करते ही धरती और सूर्य के बीच की दूरी काफी कम हो जाती है जिससे धरती पर तपन बढ़ती है। इसलिए नौतपा के नौ दिन काफी गर्म और झुलसा देने वाले होते हैं। वहीं यदि नौतपा के दौरान बारिश हो गई तो इसे रोहिणी का गलना कहा जाता है। ऐसा होने पर मानसून के दौरान अच्छी बारिश की संभावना नहीं होती।
वक्री शनि व गुरु बनाएंगे खंड वृष्टि के योग ज्योतिषाचार्य शालिनी सालेचा ने बताया कि इस बार सूर्य के रोहिणी संचरण काल में शनि-गुरु ग्रह का वक्रत्व काल रहेगा। सभी ग्रह अपनी-अपनी वक्र दृष्टि का प्रभाव दिखाएंगे। इसका असर अंधड़-बारिश रूप में नजर आएगा। लेकिन उपरोक्त स्थितियों से वर्षा की अनुकूलता बनी रहेगी।