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सभी को अपनी पार्टी से आस, नहीं कर रहे नामांकन

locationजयपुरPublished: Oct 15, 2020 08:07:49 pm

Submitted by:

Ashwani Kumar

-250 वार्डों के लिए 1500 से अधिक आवेदन आने की है संभावना
 
प्रचार शुरू: सोशल मीडिया पर प्रचार ने पकड़ी गति, एसएमएस भी आना हुए शुरू

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जयपुर. शहरी सरकार का हिस्सा बनने के लिए दावेदारों ने प्रचार प्रसार शुरू कर दिया है। कोई खुद का भाजपा से सबसे बड़ा दावेदार बता रहा है तो कोई कांग्रेस से अपनी टिकट पक्का बताकर जीत के लिए आशीर्वाद ले रहा है। कोरोना की वजह से अब तक चुनावी रंग दिखना शुरू नहीं हुआ है, लेकिन सोशल मीडिया पर प्रचार ने गति पकड़ ली है। कई दोवदार संघर्ष के दिनों को साझा कर रहे हैं तो कुछ ऐसे भी हैं, जिन्होंने जीतने के बाद पांच वर्ष का कामकाज भी प्रस्तुत कर दिया है। हालांकि, कुछ वार्डों में ऐसे दावेदार भी हैं, जिन्होंने पार्टी विशेष के पोस्टर लगाकर खुद को प्रत्याशी घोषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
अभी तक सभी दावेदारों को पार्टियों से टिकट का इंतजार है। यही वजह है कि नामांकन शुरू होने के बाद भी अब तक गिने चुने प्रत्याशी ही नामांकन करने पहुंचे हैं। भाजपा और कांग्रेस की लिस्ट आने के बाद निर्दलीयों के नामांकन की संख्या में इजाफा होगा।
अभी: सभी नेताओं का रख रहे ध्यान
जो दावेदार सोशल मीडिया और व्हाट्एस एप पर सक्रिय हैं। वे पार्टी के सभी नेताओं का पूरा ध्यान रख रहे हैं। कांग्रेस दावेदारों की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अलावा प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, प्रदेश प्रभारी अजय माकन, सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी, परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के अलावा क्षेत्रीय विधायकों के फोटो लगे हुए हैं। वहीं, कुछ दावेदारों ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को फोटो भी लगा रखा है।
वहीं, भाजपा की बात करें तो इनके पोस्टरों पर राष्ट्रीय नेतृत्व भी दिखाई दे रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के फोटे लगाए हैं। वहीं, प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के अलावा दावेदार क्षेत्रीय विधायक या विस चुनाव में प्रत्याशी रहे व्यक्ति का फोटो लगाना नहीं भूल रहे हैं।
आगे: निर्दलीय भरेंगे पर्चा, खड़ी करेंगे मुश्किल
अभी तक तो सभी दावेदार पार्टी से टिकट मिलने का दावा कर रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि एक वार्ड में एक पार्टी से चार दावेदार तक हैं। ऐसे में पार्टी टिकट किसी एक को ही देगी। बेटिकट रहने वाले कुछ तो चुनाव नहीं लड़ेंगे और कुछ निर्दलीय के रूप में नामांकन कर पार्टी प्रत्याशी के लिए मुसीबत खड़ी करेंगे।
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