जयपुर। एक तरफ सरकार हरियाली को बढ़ावा देने की बात कर रही है और दूसरी ओर आवासन मंडल स्ट्रिप ऑफ लैंड बेचकर 22 करोड़ रुपए कमाकर खजाना भरने की तैयारी में है। पहले इस जमीन पर पौधारोपण की अनुमति थी। ये वो जमीन है, जिस पर नियमानुसार भूखंड सृजित नहीं किया जा सकता था। लेकिन अब पड़ोसी भूखंड स्वामी को इसे बेचा जा सकता है। शुक्रवार को मंडल की सम्पत्ति आवंटन समिति, भूमि समझौता समिति और वाद निराकरण समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया। हालांकि जानकारों का मानना है कि ऐसी जमीन पर पौधे लगे हुए हैं। इस फैसले से पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा। बैठक में स्ट्रिप ऑफ लैंड आवंटन से संबंधित प्रकरणों को स्वीकृत कर राज्य सरकार को भेजने का निर्णय लिया गया है। इस जमीन को आवंटित करने के पीछे मंडल के अधिकारियों का तर्क है कि आवंटित मकानों के पास स्थित स्ट्रिप ऑफ लैंड पर लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है और उसको काम में लिया जा रहा है। स्ट्रिप ऑफ लैंड के 26 प्रकरणों में आवासीय आरक्षित दर की डेढ़ गुना राशि पर आवंटित किया जाएगा।
आवासन विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुंजी लाल मीणा की अध्यक्षता में हुई बैठक में 35 प्रकरणों पर विचार विमर्श हुआ। इसके अलावा भूमि समझौता समिति के 26 प्रकरण और वाद निराकरण समिति के 11 प्रकरणों पर विचार विमर्श हुआ।
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