ज्योतिषाचार्य पंडित सुरेश शास्त्री के अनुसार जिन राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती अथवा शनि की ढैया का बुरा प्रभाव है और जिनका राहु व केतू खराब है, कालसर्प योग व पितृदोष हैं। ऐसे जातक इस दिन शनिदेव को प्रसन्न कर शनि से जनित सभी दोषों से छुटकारा प्राप्त कर सकते हैं। शनि एक ऐसे देवता हैं जो धीमी गति से चलते हैं। धीमी गति से चलने के कारण इनका नाम शनैश्चर पड़ा। शनि एक राशि में ढाई वर्ष रहते हैं, 30 वर्ष बाद शनि की साढ़ेसाती व्यक्ति पर प्रारंभ होती है। अधिक से अधिक किसी व्यक्ति के जीवन में दो बार शनि की साढ़ेसाती आ सकती है। जब शनि गोचर से राशि में होते हैं तब शनि की साढ़ेसाती प्रारंभ होती है। यह कुल साढ़े सात वर्ष तक रहती है और जब शनि चतुर्थ और अष्टम स्थान गोचर करत हैं तब शनि की ढैया रहती है, जो ढाई वर्ष तक रहती है और बहुत ही कष्टकारी भी होती है।
ज्योतिषाचार्य अक्षय शास्त्री ने बताया कि इस समय धनु राशि, मकर राशि और कुंभ राशि वालों पर शनि की साढ़े साती है और मिथुन राशि तुला राशि वालों पर शनि की ढैया है। ऐसे जातक शनि को प्रसन्न करने के लिए अमावस्या के दिन सुबह स्नान करके जल में दूध और गुड़ मिलाकर वटवृक्ष के पास जाएं और उसकी जड़ में गुड़ मिश्रित जल अर्पित कर दें। इसके बाद वृक्ष की हल्दी, पुष्प, अक्षत से पूजा करें। शनि की साढ़े साती, ढैया, महादशा-अंतर्दशा, कालसर्प, राहु, केतु परेशान कर रहा है तो सिंचित मिट्टी का माथे पर टीका लगाएं। शनि मंत्र शं शनैश्चराय नम: का जाप करते हुए 108 बार वट वृक्ष की परिक्रमा दें।