कोरोना के कारण टूट जाएगी 202 साल पुरानी यह परंपरा
gopal ji ki hede ki parikrama 2020: गोपालजी महाराज की हेड़े की परिक्रमा इस बार नहीं निकाली जाएगी। ऐसे में 202 साल पुरानी परंपरा इस बार टूटती नजर आ रही है। कोरोना के चलते छोटी काशी जयपुर में लगभग 202 वर्ष में पहली बार जयपुर की विरासत गोपालजी की हेड़े की परिक्रमा पर ग्रहण लगा है।

देवेन्द्र सिंह / जयपुर। गोपालजी महाराज की हेड़े की परिक्रमा इस बार नहीं निकाली जाएगी। ऐसे में 202 साल पुरानी परंपरा इस बार टूटती नजर आ रही है। कोरोना के चलते छोटी काशी जयपुर में लगभग 202 वर्ष में पहली बार जयपुर की विरासत गोपालजी की हेड़े की परिक्रमा पर ग्रहण लगा है। इस बार भाद्रपद शुक्ल छठ पर सोमवार को न तो गोपालजी के मंदिर से परिक्रमा निकलेगी न घाट की गुणी स्थित प्राचीन फतेहचंद्रमाजी मंदिर में गोपालजी राधाजी के संग सुसज्जित पालकी पर विराजमान होकर लोगों को दर्शन देंगे। जानकारी के अनुसार समाज श्री गोपालजी का मंदिर की ओर से पुलिस प्रशासन से इस संबंध में अनुमति भी मांगी गई थी, लेकिन पुलिस ने अभी तक परिक्रमा के लिए अनुमति नहीं दी है। इसके कारण इस बार गोपालजी के हेड़े की परिक्रमा नहीं निकाली जाएगी, जिससे वर्षों पुरानी परंपरा टूट जाएगी। इससे पहले गणगौर व तीज की सवारी निकलने की वर्षों पुरानी परंपरा टूट चूकी है।
महाराजा करते थे स्वरूपों के दर्शन
समाज के महामंत्री कुंजबिहारी धोतीवाले ने बताया परंपरगत तरीके से निकलने वाली हेड़े की परिक्रमा छोटी काशी के बाशिंदों के लिए काफी मायने रखती है। करीब 202 साल पहले संवत् 1876 में अग्रवाल समाज के लोगों ने गोपालजी का मंदिर बनाकर गोपालजी की नगर परिक्रमा निकालना शुरू किया था। उस समय महाराजा जयसिंह स्वरूपों के दर्शन करने के लिए त्रिपोलिया गेट पर आते थे और स्वरूपों की आरती के बाद भगवान के सोने की गिन्नी भेंट करते थे। महाराजा ने परिक्रमा से प्रभावित होकर इस जयपुर की विरासत की उपाधि प्रदान की थी। सरकार की गाइडलाइन की पालना में इस बार परिक्रमा नहीं निकाली जा रही है। अब इस यात्रा का आयोजन सितम्बर में शुरू होने वाले अधिकमास किया जाएगा।
राधा-गोपालजी के स्वरूप की निकलती है शोभायात्रा
आयोजन से जुड़े राजेंद्र कुमार झरोखेवाले ने बताया कि झरोखावाला, ठेडक्या व लालानी परिवार के लोगों ने परिक्रमा की शुरुआत की थी। इस परिक्रमा से अग्रवाल समाज के लोग बड़ी संख्या में जुड़े हुए हैं। परिक्रमा में घाट की गुणी स्थित फतेहचंद्रमाजी के मंदिर से स्वरूपों की झांकी को कड़ी सुरक्षा के साथ निकाले जाते हैं। झांकी के साथ घुड़सवार पुलिस के जवानों के अलावा सशस्त्र पुलिस बल व पांच थानों का जाप्ता सुरक्षा में लगता है। पहले राज दरबार की ओर से कड़ी सुरक्षा की व्यवस्था की जाती थी और अब सरकार करती है।
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