मंदिर के प्रबंधक मानस गोस्वामी ने बताया कि पवित्रा पवित्रा वैष्णवों की सालभर की सेवा का प्रतीक है। पवित्रा धारण नहीं कराने पर साल भर की सेवा निष्फल मानी जाती है। शुभ तिथियों में कभी भी ठाकुरजी को पवित्रा धारण कराई जा सकती है। लेकिन यह ध्यान रखें कि पवित्रा का उत्तम होने के साथ शोभायमान होना भी अत्यावश्यक है। उसकी ग्रंथियां सुंदर लंबी गोलाई वाली हों जो प्रभु को चुभे नहीं। पवित्रा सुंदर उत्तम और सुगंधित केसर से रंगी हुई होनी चाहिए। पवित्रा समर्पण प्रभु के भक्ति रत्न देता है। स्त्रियों और पुरुषों को कीर्ति और पुण्यजनक है तथा सुख संपत्ति और धन देता है।