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नहीं भरा तेजाजी का मेला, सादगी से मनाई बाबा रामदेव की जयंती

locationजयपुरPublished: Aug 28, 2020 11:05:14 pm

Submitted by:

Devendra Singh

veer teja ji jayanti: लोक देवता वीर तेजाजी व बाबा रामदेव महाराज की जयंती शुक्रवार को हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। श्रद्धालुओं ने तेजाजी के थान व मंदिरों में जाकर प्रसाद चढ़ाया और सुख-समृद्धि की कामना की। शहर और गांवों में तेजाजी के थानों पर लगने वाले मेलों पर इस बार कोरोना का असर दिखाई दिया। कोरोना के कारण इस बार न तो तेजाजी की बिंदौरी निकली और न ही तेजाजी के थानों पर मेले लगे।

हाथोज धाम में सजी तेजाजी की झांकी।

हाथोज धाम में सजी तेजाजी की झांकी।

जयपुर। लोक देवता वीर तेजाजीबाबा रामदेव महाराज की जयंती शुक्रवार को हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। श्रद्धालुओं ने तेजाजी के थान व मंदिरों में जाकर प्रसाद चढ़ाया और सुख-समृद्धि की कामना की। शहर और गांवों में तेजाजी के थानों पर लगने वाले मेलों पर इस बार कोरोना का असर दिखाई दिया। कोरोना के कारण इस बार न तो तेजाजी की बिंदौरी निकली और न ही तेजाजी के थानों पर मेले लगे। हालांकि श्रद्धालु दर्शनार्थी प्रसाद चढ़ाने आए जरूर, लेकिन जमा नहीं हुए। तेजाजी के दर्शन करने के साथ ज्योत ली और घरों में बनाए पक्कवान खीर पुडी, पुआ, नारियल, पताशे चढ़ाए और उनसे सालभर जहरीले जीव जंतुओं से रक्षा करने की प्रार्थना की। कई लोगों ने घरों पर ही ज्योत ली और खीर, पुए व पुड़ी का भोग लगाया।
हाथोज ग्राम में सादगीपूर्वक तेजाजी का मेला भरा। तेजा दशमी की पूर्व संध्या पर हाथोज धाम के स्वामी बालमुकुंदाचार्य महाराज के सान्निध्य में तेजाजी का अभिषेक करने के बाद अखंड ज्योत प्रज्ज्वलित कर आरती की गई। बड़ी संख्या में दर्शनार्थी प्रसाद चढ़ाने के लिए पहुंचे। ऐसी मान्यता है कि तेजाजी के थान पर गाय-भैस का दूध चढ़ाने से तेजाजी प्रसन्न होकर कष्टों को दूर करते हैं।
इधर मानसरोवर न्यू सांगानेर रोड पर करीब 400 वर्ष पुराने तेजाजी मंदिर, बरकत नगर, गोनेर रोड, मुरलीपुरा ,हसनपुरा, सोडाला, मानसरोवर, बाढ़ देवरी, मुहाना, सांगानेर सांगासेतू रोड, बंबाला पुलिया, आदर्शनगर, शास्त्रीनगर सहित अन्य जगहों पर भी तेजाजी जयंती भक्तिभाव के साथ मनाई गई।

आज ही के दिन लोक देवता रामदेवजी की जयंती भी मनाई गई। रामदेवजी के मंदिरों में विशेष सजावट की गई। नाहरी का नाका स्थित बाबा रामदेव मंदिर में महंत योगेश नायक के सान्निध्य में अभिषेक कर मनोहरी शृंगार किया गया। बाबा को दाल,बाटी चूरमा का भोग लगाया गया। मंदिरों में विशेष झांकिया सजाई गई। भक्तों ने मंदिरों में प्रसाद चढ़ाया और धोक लगाई।

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