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बिजली कंपनियों की तर्ज पर चला पीएचईडी

locationजयपुरPublished: May 16, 2018 12:56:07 pm

Submitted by:

Mohan Murari

पीएचईडी इंजीनियरों को सीयूजी मोबाइल नंबर देने की शुरू हो रही है कवायद

jaipur PHED
बिजली कंपनियों में पहले है व्यवस्था लागू
तबादला होने पर भी खंड इंजीनियरों के मोबाइल नंबर उपभोक्ताओं को हो सकेंगे उपलब्ध

जयपुर। यदि सब कुछ ठीक रहा तो प्रदेश के जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के इंजीनियरों को जल्द ही सीयूजी मोबाइल नंबर उपलब्ध होने वाला है। सीयूजी मोबाइल नंबर जारी होने के बाद जहां फील्ड में कार्यरत इंजीनियरों के मोबाइल बिलों में कटौती होगी और सभी इंजीनियर ग्रुप कॉलिंग व्यवस्था से भी जुड़े रहेंगे वहीं संबंधित क्षेत्र के पेयजल उपभोक्ताओं को इंजीनियरों से संपर्क करने के लिए उनके मोबाइल नंबरों का मोहताज नहीं होना पड़ेगा।
अतिरिक्त मुख्य अभियंता जयपुर रीजन द्वितीय कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार विभाग के मुख्यालय ने इस संबंध में खाका तैयार किया है और जल्द ही मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी का चयन करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। बताया जा रहा है कि सबसे पहले जयपुर शहर और जिलावृत्त में फील्ड में कार्यरत इंजीनियरों को मोबाइल सीयूजी नंबर आवंटित करने की योजना है। इसके बाद पूरे प्रदेश में सभी पीएचईडी इंजीनियरों व तकनीकी स्टाफ को भी सीयूजी मोबाइल नंबर देने का प्रस्ताव है।
मालूम हो करीब तीन साल पहले भी जयपुर स्थित रीजन कार्यालय ने इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर मुख्यालय भेजा था, लेकिन उस पर सहमति नहीं बनी। इंजीनियरों के मोबाइल सीयूजी नंबर नहीं होने से जहां एक तरफ विभाग को इंजीनियरों को मोबाइल बिल पेटे राशि का भुगतान करना पड़ रहा है। वहीं फील्ड में तैनात इंजीनियर का तबादला होने की स्थिति में क्षेत्र के पेयजल उपभोक्ताओं को नए तैनात होने वाले इंजीनियर से संपर्क साधने में भी मशक्कत करनी पड़ती है। इस तरह की शिकायतों के स्थाई समाधान को लेकर अब नए सिरे से प्रस्ताव तैयार हुआ है। इसमें बिजली कंपनियों की तर्ज पर मोबाइल कॉलर ट्यून में भी जल संरक्षण संदेश वाली धुन का उपयोग करने का भी प्रस्ताव है।
इनका कहना है——

जलदाय इंजीनियरों को सीयूजी मोबाइल नंबर देने का प्रस्ताव है। ऐसे में उपभोक्ताओं को इंजीनियरों से संपर्क करने में आसानी होगी। वहीं मोबाइल वॉयस कॉल शुल्क भी कम हो सकेगा।
—दिनेश कुमार सैनी, अतिरिक्त मुख्य अभियंता, जयपुर रीजन द्वितीय, जलदाय विभाग

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