scriptजयपुर : पतंगबाजी में कमी…चीनी मांझा आने के बाद लगा ग्रहण | Jaipur: Reduction in kite flying ... Main cause Chinese Manjha | Patrika News

जयपुर : पतंगबाजी में कमी…चीनी मांझा आने के बाद लगा ग्रहण

locationजयपुरPublished: Jan 13, 2020 09:33:52 pm

Submitted by:

sanjay kaushik

राजस्थान में धारदार मांझों से हो रहे हादसों ( Accidents due to Chinese Manjha ) के चलते जयपुर में मकर संक्राति के अवसर पर हर वर्ष होने वाली पतंगबाजी ( Kite Flying reduced in Jaipur ) में काफी कमी आई है। ( Jaipur News )

जयपुर : पतंगबाजी में कमी...चीनी मांझा आने के बाद लगा ग्रहण

जयपुर : पतंगबाजी में कमी…चीनी मांझा आने के बाद लगा ग्रहण

-बढ़ते हादसों के कारण घटा आकर्षण

-धारदार मांझों से बढ़ रहे हादसे

जयपुर। राजस्थान में धारदार मांझों से हो रहे हादसों ( Accidents due to Chinese Manjha ) के चलते जयपुर में मकर संक्राति के अवसर पर हर वर्ष होने वाली पतंगबाजी ( Kite Flying reduced in Jaipur ) में काफी कमी आई है। ( Jaipur News ) राज्य सरकार ने मांझे से हुए हादसों के बाद चीनी मांझे और शीशे से निर्मित देशी धारदार मांझों पर पाबंदी लगाने से पतंग के शौकीनों ने इस बार पतंग से मुंह मोड़ लिया है। जयपुर में मकर संक्रांति से पहले ही भारी तादाद में पतंग उड़ाई जाती हैं। इसकी शुरुआत मकरसंक्रांति से करीब 15 दिन पहले ही हो जाती है। इसमें बच्चे, युवा और युवतियां तक शामिल होती हैं। सुबह से पतंगबाजों का शोर आकाश गुंजा देता है और पतंगों से आकाश आच्छादित हो जाता है। यह सिलसिला मकर संक्रांति तक चलता है। मकर संक्रांति पर पतंगबाजी चरम पर पहुंच जाती है। इस दिन पतंगों के शौकीन सुबह से ही छत पर पहुंच जाते हैं जो अंधेरा होने तक पतंगें उड़ाते हैं। मकर संक्रांति से पहले ही कई समाज पतंगोत्सवों का आयोजन करते हैं।
-पाबंदियां…पक्षियों पर संकट और महंगाई भी कारण

जयपुर में मकर संक्रांति पतंग पर्व के रूप में ही जानी जाती है, लेकिन पतंगबाजी के व्यवसाय में चीन के मांझे के बाजार में आने के बाद इस पर ग्रहण लगना शुरू हो गया है। जानकारों के अनुसार यह मांझा प्लास्टिक के महीन तार से बनाया जाता है। इस पर शीशे की परत चढ़ाई जाती है। यह मांझा आसानी से टूटता नहीं है। पतंग कटने के दौरान मार्गों पर पर वाहनों से जा रहे लोग इसकी चपेट में आने पर उनकी गरदन पर इतना लंबा और कई बार गहरा कट लगता है कि इससे श्वांस नली तक कट जाती है। कई लोगों की मौतें भी हुई हैं। मांझे के कारण होने वाले हादसों के चलते राज्य सरकार ने इस पर पाबंदी लगा दी। कई बार विद्युत के तारों पर टकराने से इस मांझे में करंट भी आ जाता है, जिससे पतंग उड़ाने वालों के जीवन पर भी खतरा उत्पन्न हो जाता है। पतंग हादसों और पक्षियों पर गहराते संकट के प्रति सामाजिक संगठनों के प्रचार ने भी पतंगबाजों की आंखों खोली हैं तथा वे इससे शौक से खुद को अलग करने लगे हैं, हालांकि पतंगों के घटते आकर्षण के पीछे इनका मंहगा होना भी माना जा रहा है।
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