चार दिन से बिना पैसे के जयपुर में दुबई से आए डॉ. अमय घानेकर चार दिनों से बिना पैसों के शहर में हैं और अपने ड्रीम प्रोजेक्ट 'ट्रस्टिंग द अन्नोन सरवाइविंग विदआउट मनी' पर काम कर रहे हैं। बतौर डॉ. अमय 'जयपुर दिलवालों का शहर है, यहां पर अभी तक मुझे पैसों के बिना फू ड, ट्रांसपोर्टेशन और रात को सोने में परेशानी नहीं हुई।
सेल्फी स्टिक भी बेची हवामहल के बाहर एक सेल्फ ी स्टिक बेचने वाले ने मेरे मांगने पर बिना कुछ कहे मुझे सेल्फ ी स्टिक दे दी। शाम को जब मैं वापस उससे मिला तो पूछने पर पता चला कि उसकी एक भी सेल्फ ी स्टिक नहीं बिकी थी, मैंने लोगों को कंवेंस करके उसकी चार स्टिक बेची। इसी तरह किसी के लिए गिटार बजाया, तो किसी के लिए गाना गाया। इस बीच रात गुजारने के लिए एक होटल मालिक के बच्चे को इंग्लिश भी सिखाई। मैं यहां के लोगों को कहता हूं कि मैं कुछ भी खास कर सकता हूं और बदले में मुझे खाने और रहने की जगह दे दीजिए।
आंखों में छलक आए आंसू बकौल डॉ. अमय घानेकर, सात सितम्बर को मैं जयपुर एयरपोर्ट पर उतरा। बाहर आया तो एक व्यक्ति से मैंने बोला जहां आप जा रहे हैं, वहीं मुझे छोड़ दीजिए। इसके बाद वो न सिर्फ अपने साथ मुझे लेकर गए, बल्कि मुझे प्याज की कचोरी भी खिलाई। उस समय मेरे आंखों में आंसू आ गए। बाद में उन्होंने मुझे मेट्रो का टिकट दिलाया और मैं चांदपोल आ गया। जयपुर के शुरुआती घंटों में ही मुझे इस शहर की दिलदारी पता चल गई। इसी तरह पूरे दिन भर लोगों ने मेरी मदद की। ऑटो वाले ने मुझे फ्री में छोड़ा, होटल में मैंने फ्री में रात गुजारी और फ्री में ही खाना खाया।
ट्रेवलिंग है पैशन डॉ. अमय टेडएक्स स्पीकर और बॉडी लैंग्वेज गुरु हैं। ट्रैवलिंग इनका पैशन है और इन दिनों 'ट्रस्टिंग द अन्नोन, सरवाइविंग विदआउट मनीÓ प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, जो सोसायटी को ये मैसेज देता है कि अनजान पर विश्वास करना चाहिए और जिन्दगी में पैसों के बिना भी जीया जा सकता है। जयपुर से ही इन्होंने अपना प्रोजेक्ट शुरू किया है और ये 13 सितम्बर तक जयपुर में हैं। डॉ. अमय ने लर्निंग मैनेजमेंट में पीएचडी की है। जयपुर में वे अपने साथ दिल्ली से दो यंग प्रोफेशनल फ ोटोग्राफ र भी लेकर आए हैं, जो पूरी जर्नी को रिकॉर्ड कर रहे हैं।
आम जनता ने की मदद डॉ. अमय घानेकर के अनुसार अधिकांश ने मेरी मदद की है और सबसे खास बात यह है कि फ ाइनेंशियली स्ट्रॉन्ग लोगों की बजाय उन लोगों ने मेरी मदद की है, जो बुनियादी आवश्यकताओं के लिए हर दिन स्ट्रगल कर रहे हैं।