क्या पुलिस में कोई संवेदना नहीं है? जिस व्यक्ति ने नशे में तेज रफ्तार में किसी की जान ले ली, पुलिस उसी को बचा रही थी? मेडिकल भी नहीं कराया। शुक्र था कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने संज्ञान लिया और लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मी पर कार्रवाई की। हम यही चाहते हैं कि दोषी चालक पर ठोस कार्रवाई हो ताकि लापरवाह और नशे में तेज रफ्तार गाड़ी चलाने वाला हर शख्स कानून से डरे। यह कहना है डागा परिवार का।
इस परिवार का कहना था कि हमने अपने घर के सदस्य को एक युवक के नशे और रफ्तार के शौक के कारण खो दिया। अभय डागा की पत्नी शोभा की आंखें यह कहते हुए छलक पड़ीं कि अब वे आ नहीं आ सकते, लेकिन दोषी को सजा मिल जाए तो हमें थोड़ा चैन मिल जाएगा। उनकी बेटी मनाली की आंखें नम थीं, परंतु उसमें गुस्सा था। हादसे को लेकर बोली, पिता का साया उठ गया, ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए पुख्ता इन्तजाम किया जाना चाहिए। परिजनों ने बताया कि अभय को अपने बड़े भाई के लैंडलाइन नंबर याद थे। हादसे के बाद जैसे ही होश में आए उन्होंने नंबर बताए। किसी ने फोन किया तो भतीजी आशा ने फोन उठाया और फिर परिवार को पता चला।
सेवाभावी थे अभय
परिवार के सदस्य कहते हैं, अभय सेवाभावी थे। जीवप्रेमी, धर्मप्रेमी थे। कहीं कोई जानवर, पक्षी घायल मिलता तो उठाकर इलाज के लिए ले जाते थे। मकर संक्रांति पर पतंगबाजी के वक्त तो घायल पक्षियों की सेवा में ही जुटे रहते थे। एक बार एक घायल कबूतर ले आए। उनके हाथ और कपड़ों पर खून लगा था। उसे तो बचा लिया लेकिन क्या पता था, उसी तरह एक दिन वह भी खून में लथपथ मिलेंगे।
परिवार के सदस्य कहते हैं, अभय सेवाभावी थे। जीवप्रेमी, धर्मप्रेमी थे। कहीं कोई जानवर, पक्षी घायल मिलता तो उठाकर इलाज के लिए ले जाते थे। मकर संक्रांति पर पतंगबाजी के वक्त तो घायल पक्षियों की सेवा में ही जुटे रहते थे। एक बार एक घायल कबूतर ले आए। उनके हाथ और कपड़ों पर खून लगा था। उसे तो बचा लिया लेकिन क्या पता था, उसी तरह एक दिन वह भी खून में लथपथ मिलेंगे।
आखिर क्यों नहीं सुधरते ट्रैफिक के हालात ( jaipur traffic police )
डागा परिवार के कई सदस्य विदेश में रहते हैं। उन्होंने यहां की यातायात व्यवस्था की कमियां बताईं। जिन देशों में रहते हैं, वहां की व्यवस्था से यहां की तुलना करते हुए कहा कि सुधार होना ही चाहिए।
– अमरीका में लोग यातायात नियम तोडऩे से डरते हैं। नियम से चलते हैं। गलती दोहराने पर लाइसेंस निरस्त हो जाता है। -अशोका डागा (अमरीका) – नियम तोडऩे पर पेनल्टी के साथ लाइसेंस भी निरस्त कर दिया जाता है। स्पीड अधिक हो या अन्य गलती, कोई कोताही नहीं बरती जाती। -राजेन्द्र डागा (हांगकांग)
– वहां 3 बार से ज्यादा नियम तोडऩे पर लाइसेंस निरस्त हो जाता है। दुर्घटना में लापरवाही मिलती है तो सख्त कार्रवाई की जाती है। -मयूर डागा (चाइना) – वहां लेन सिस्टम अच्छा है। लोग चाहे एक घंटे तक जाम में फंस जाएं, अपनी लेन नहीं छोड़ते। यहां भी ऐसा होना चाहिए। लोगों में भी ट्रैफिक सेंस डवलप होना चाहिए। -अनुज डागा (बैंकॉक)