मोर्चरी में शवों को रखने के लिए तीन बड़े फ्रीजर लगे है। कोरोना पॉजिटिव व निगेटिव शवों को अलग-अलग रखा जाता है। यहां फ्रीजर में 18 रैक है। जिनमें 18 शव रखे जा सकते है। जब किसी की मौत होती है और कोरोना जांच रिपोर्ट नहीं आती, तो उस शव को संदिग्ध समझकर अलग रखा जाता है़। फ्रीजर की 18 में से अंतिम छह रैंक खराब पड़ी है। ऐसे में अब केवल रैक में 12 शव ही रखे जा रहे है। जैसे ही अन्य किसी की शव आ जाता है तो, उसे स्ट्रैचर पर ही रखना पड़ताहै। जगह होने पर शवों को फ्रिज में शिफ्ट करतेे है। यही नहीं फ्रीजर कक्ष के बाहर कचरे का ढेर लगा रहता है। उसके पास ही मेडिकल वेस्ट का डिपो भी है। ऐसे में चूहे शव को कुतर तक जाते है। इसके अलावा संक्रमण का खतरा भी बना रहता है।
सुरक्षा को लेकर मजबूत दावे करने वाले अस्पताल प्रशासन पूरी तरह से आंख मूदें बैठा है। गुरुवार तड़के धनवंतरि ओपीडी के बाहर लैब के समीप एक व्यक्ति का शव सुबह चार बजे से सुबह नौ बजे तक पड़ा रहा। हैरत की बात है कि, मजह पुलिस चौकी से मात्र 100 से 150 मीटर दूरी पर है। सुबह नौ बजे उसे पुलिस मोर्चरी में रखवाया। आसपास तीन रैन बसेरे होने के बाद भी उक्त व्यक्ति रात भर फुटपाथ पर सोता रहा और अल सुबह उसकी जान चली गई।
एसएमएस अस्पताल सुरक्षा के कई लोगों को निगरानी के लिए तैनात भी कर रखा है। इसके बावजूद मानवता को तार-तार करने वाले ऐसे हालात सामने आ रहे है। ऐसे में चिकित्सा प्रशासन के पूरे तंत्र पर सवालिया निशान लगते नजर आ रहे है।
मोर्चरी में फ्रीजर के बॉक्स के पाट्र्स खराब पड़े है। वो बाहर से मंगवाए गए है, जो अभी आने है। इसलिए देरी हो रही है। हम कंपनी के प्रतिनिधि से लगातार संपर्क में है। हालांकि अभी कोई दिक्कत नहीं है। समस्या का जल्द ही समाधान कर लिया जाएगा।
डॉ सुमंत दत्ता, इंचार्ज, मोर्चरी