आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान अमीषा, निखिल, निर्देश, सार्थक, तनिष्क, पराग, संयम और उनके दोस्तों का कहना है कि लॉकडाउन के चलते वे कॉलेज तो नहीं जा रहे, लेकिन इस तरह वे अपना समाज सेवा का कार्य कर रहे हैं। उनका उद्देश्य सौ लोगों को आत्मनिर्भर बनाना है। अजमेर रोड स्थित जेके लक्ष्मीपत यूनिवर्सिटी के बीबीए फस्र्ट ईयर में पढ़ने वाले इन स्टूडेंट्स का कहना है कि ऐसा कर वे आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान देने की छोटी सी कोशिश कर रहे हैं।
पहले भिक्षा पर निर्भर, अब कमा रहे हर रोज 200 बीबीए प्रथम वर्ष के स्टूडेंट सार्थक एवं तनिष्क ने शहर में सड़क किनारे बैठने वाले दो भिक्षुको को ट्रेंड किया। इन दोनों को इन्होंने कागज से बने हुए लिफाफे एवं रूई की बत्ती के निर्माण कार्य में लगाया, साथ ही इन्हें कुछ ऐसे लोगों से भी मिलवाया जो इस उत्पाद की नियमित खरीद करते हैं। अब ये करीब 200 रुपए रोज कमा रहे हैं।
सिखाया मास्क बनाना पराग एवं संयम ने सड़क किनारे बैठने वाले ऐसे लोग जो बीपीएल की श्रेणी में नहीं आते हैं, उन्हें पहले मास्क बनाने का प्रशिक्षण दिया। फिर एक टेक्सटाईल कंपनी में मास्क बनाने का काम में लगाया। वहीं स्टूडेंट अमीषा, निखिल और निर्देश ने लोकल लेब में डब्लूएचओ की गाईडलाईन के मुताबिक एवं तय मानको के आधार सेनेटाईजर को तैयार किया। लोगों को भी इससे नियमित रूप से जोड़ रहे हैं।
स्टूडेंट्स का सोशल वर्क को लेकर यह असाईनमेंट पूरा करना ना सिर्फ सिलेबस के लिहाज से महत्वपूर्ण है बल्कि बच्चों के उज्जवल भविष्य की ये परिचायक है। बच्चे इसमें बढचढकर हिस्सा ले रहे हैं।
प्रो आरएल रायना, वाइस चांसलर, जेके लक्ष्मीपत यूनिवर्सिटी