जयपुर

यहां दी जाती है लड्डुओं की आहुतियां

गुलाबी शहर (pink city) के सूरजपोल बाजार (surajpol bazar) में श्वेत सिद्धि विनायक गणेशजी मंदिर (shwet siddivinayak ganeshji mandir) में यज्ञ में लड्डुओं की आहुतियां दी जाती हैं। यहां यज्ञ में 108 और 1008 लड्डुओं की आहुतियां देकर गणेशजी की प्रभाव बढ़ाने का प्रयोग किया जाता है। हर साल गणेश चतुर्थी के मौके पर इन लड्डुओं की आहुतियां दी जाती है।

जयपुरSep 11, 2019 / 09:12 pm

Girraj Sharma

यहां दी जाती है लड्डुओं की आहुतियां

यहां दी जाती है लड्डुओं की आहुतियां
– श्वेत सिद्धि विनायक गणेशजी मंदिर में होता है यज्ञ
– 108 और 1008 लड्डुओं की देते हैं आहुतियां
– गणेशजी का प्रभाव बढ़ाने के लिए करते हैं प्रयोग
– पूर्व महाराजा रामसिंह ने कराई थी गणेशजी की स्थापना
– श्वेत सिद्धि विनायक के अभिषेक के बाद रामसिंह बैठते थे गद्दी पर
जयपुर। गुलाबी शहर (pink city) के सूरजपोल बाजार (surajpol bazar) में श्वेत सिद्धि विनायक गणेशजी मंदिर (shwet siddivinayak ganeshji mandir) में यज्ञ में लड्डुओं की आहुतियां दी जाती हैं। यहां यज्ञ में 108 और 1008 लड्डुओं की आहुतियां देकर गणेशजी की प्रभाव बढ़ाने का प्रयोग किया जाता है। हर साल गणेश चतुर्थी के मौके पर इन लड्डुओं की आहुतियां दी जाती है। इसके पीछे मान्यता है कि इन लड्डुओं की आहुतियां सूर्य लोक के निमित्त सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए दी जाती है। इसके अलावा यहां हर बुधवार को गणेशजी के दुग्धाभिषेक किया जाता है।
जयपुर स्थापना के समय गुलाबी शहर के सूरजपोल बाजार में श्वेत सिद्धि विनायक गणेशजी की स्थापना की गई। बताते हैं कि यहां गणेशजी की स्थापना पूर्व महाराजा रामसिंह ने करवाई थी। रामसिंह गलता स्नान के बाद श्वेत सिद्धि विनायक गणेशजी के अभिषेक करते थे, उसके बाद ही राजगद्दी पर बैठते थे। ये गणेशजी पांच सर्पों में बंधे हुए हैं। दो सर्प दोनों हाथों में और दो सर्प दोनों पैरों में लिपटे हुए हैं, इसके अलावा एक सर्प गणेशजी की यज्ञोपवीत के रूप में गले में हैं। यहीं कारण है कि श्वेत सिद्धि विनायक मंदिर में हर बुधवार को लोग गणेशजी के दुग्धाभिषेक करते हैं, जिससे सर्प संतुष्ठ होते हैं। कुछ लोग पितृ शांति के लिए भी दुग्धाभिषेक करते हैं। इसके बाद इत्र स्नान कराया जाता है। गणेशजी को हर बुधवार को भक्त दुर्वा भी अर्पित करते हैं।
मंदिर महंत मोहनलाल शर्मा बताते है कि पूर्व महाराजा रामसिंह ने मूर्ति स्थापना कर यहां यज्ञ करवाया था, तभी से यहां यज्ञ की परंपरा शुरू हुई है। अब गणेशजी का प्रभाव बढ़ाने के लिए यज्ञ में लड्डुआंें की आहुतियां दी जाती है। साल में एक बार यज्ञ का आयोजन होता है, मान्यता है कि यज्ञ में लड्डुओं की आहुतियां देने से वह सूर्य लोक में जाती है और गणेशजी का प्रभाव बढ़ता है। आज भी यह मूर्ति चमत्कारिक हैं, यहां कई भक्त नियमित दर्शनों के लिए आते हैं। गणेशजी पांच सर्प में बंधे हुए हैं, दुग्धाभिषेक करने से सर्प संतुष्ठ होते हैं और पितृ शांति मिलती है। शहर में ये गणेशजी एेसे हैं, जहां सिंदूर नहीं चढ़ता है। हर बुधवार को लोग दुर्वा अर्पित करते हैं। यहां मंदिर पुजारियों की ओर से विशेष मंत्रोच्चारण के बीच दुग्धाभिषेक और दुर्वा अर्पित करवाई जाती है।

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