अस्पताल प्रशासन का कहना है कि लपकों पर खूब सख्ती की जा चुकी है। कई बार पकड़कर पुलिस के सुपुर्द भी किया, लेकिन ये फिर से अस्पताल परिसर में आ धमकते हैं। अस्पताल अधीक्षक डॉ. डी.एस.मीणा ने बताया कि इन लपकों के खिलाफ कोई रिपोर्ट ही दर्ज नहीं करवाता। यही वजह है कि पुलिस तुरंत छोड़ देती है। यदि अस्पताल प्रशासन इन्हें पुलिस के हवाले करती है, तो पीडि़त मरीज और परिजन बयान देने नहीं जाते। अस्पताल के एक वरिष्ठ चिकित्सक का कहना है कि लपके पुलिस से छुटने के बाद हंसते हुए आते हैं और चिढ़ाते भी है।
लाइसेंस रद्द हो तो बात बने
वरिष्ठ चिकित्सकों का कहना है कि लपकों पर पाबंदी लगाना मुश्किल है। जिन मेडिकल दुकान संचालकों ने लपकों को काम पर रखा हुआ है, उनके लाइसेंस चिकित्सा विभाग रद्द कर दें, तो लपकागिरी पर अंकुश लगाया जा सकता है।
वरिष्ठ चिकित्सकों का कहना है कि लपकों पर पाबंदी लगाना मुश्किल है। जिन मेडिकल दुकान संचालकों ने लपकों को काम पर रखा हुआ है, उनके लाइसेंस चिकित्सा विभाग रद्द कर दें, तो लपकागिरी पर अंकुश लगाया जा सकता है।
लपकों से कुछ दूरी पर जोनल अधिकारियों के कमरे, लेकिन ध्यान ही नहीं
जानकारी के अनुसार अस्पताल को आठ जोन में बांटा गया है। इन जोन में डॉक्टरों को जोनल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। जोनल अधिकारियों को कार्य विभाजन भी किया गया है। साथ ही प्रशासन की ओर से निर्देशित किया हुआ है कि समय-समय पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें, लेकिन लपकों के संबंध में कोई रिपोर्ट दी ही नहीं जाती। खास बात यह है कि जिन चिकित्सकों को जोनल अधिकारी नियुक्त किया गया है। उनके कक्ष लपकों से महज 50-60 मीटर की दूरी पर हैं, लेकिन कुछ को छोड़कर अधिकांश अधिकारियों ने लपकों को पकडऩे में रुचि नहीं दिखाई।
जानकारी के अनुसार अस्पताल को आठ जोन में बांटा गया है। इन जोन में डॉक्टरों को जोनल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। जोनल अधिकारियों को कार्य विभाजन भी किया गया है। साथ ही प्रशासन की ओर से निर्देशित किया हुआ है कि समय-समय पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें, लेकिन लपकों के संबंध में कोई रिपोर्ट दी ही नहीं जाती। खास बात यह है कि जिन चिकित्सकों को जोनल अधिकारी नियुक्त किया गया है। उनके कक्ष लपकों से महज 50-60 मीटर की दूरी पर हैं, लेकिन कुछ को छोड़कर अधिकांश अधिकारियों ने लपकों को पकडऩे में रुचि नहीं दिखाई।
दूसरे दिन भी हालात जस की तस
खबर छपने के दूसरे दिन भी लपकों का जमावड़ा लगा रहा। लपके गेट नंबर 2 और गेट नंबर 3 के पास मरीजों को डिस्काउंट का झांसा देकर फंसाते रहे, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने कार्यवाही करना तक उचित नहीं समझा।
खबर छपने के दूसरे दिन भी लपकों का जमावड़ा लगा रहा। लपके गेट नंबर 2 और गेट नंबर 3 के पास मरीजों को डिस्काउंट का झांसा देकर फंसाते रहे, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने कार्यवाही करना तक उचित नहीं समझा।
तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। जो कि लपकों पर निगरानी रखेगी। साथ ही पुलिस से बात करके लपकों को पकड़वाने का हल निकाला जाएगा।
– डॉ. एस.एस. यादव, प्रवक्ता, एसएमएस अस्पताल