जलदाय विभाग को हर साल ‘लीकेज’ से करोडों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है। हालांकि इस लिकेज को रोकने के लिए नॉन रेवेन्यू वाटर प्रकोष्ठ (नुकसान प्रकोष्ठ) का गठन कर रखा है, इस प्रकोष्ठ की जिम्मेदारी मुख्य अभियंता स्तर के अधिकारी को सौंप रखी है। बड़ी बात यह है कि इसके लिए अलग से बजट रखा जाता है, लेकिन पानी के ‘लीकेज’ को रोकने के लिए कोई खास काम नहीं हुआ है। जलदाय विभाग के अधिकारियों की मानें तो स्मार्ट मीटर लगाने से 20 से 25 फीसदी तक ‘लीकेज’ को रोका जा सकेगा।
यूं हो रहा ‘लीकेज’
बीसलपुर से शहर में आ रहे पानी का 40 फीसदी पानी ‘लीकेज’ हो रहा है, इसमें जर्जर पेयजल लाइनों से पानी निकलने, टंकियों से आॅवरफ्लो होने से बर्बाद होने के साथ बिना मीटर के पानी आपूर्ति होना शामिल है।
कहां कितना फीसदी पानी ‘लीकेज’ जयपुर दक्षिण प्रथम — 36.41 प्रतिशत
जयपुर दक्षिण द्वितीय — 39.79 प्रतिशत
जयपुर उत्तर प्रथम — 41.70 प्रतिशत
जयपुर उत्तर द्वितीय — 50.40 प्रतिशत