यह पहला इंडियन मिशन होगा, जो सूर्य से जुड़ी गतिविधियों पर काम करेगा, लेकिन यह सैटेलाइट कैसे स्पेस में काम करेगा और इसके लिए किस तरह के मैकेनिज्म अपनाए जाएंगे। ऐसे ही कई रोचक रहस्य खगोलविज्ञान में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाली पिंकसिटी में खुलेंगे।
मौका होगा, एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ऑफ इंडिया और बिड़ला सेंटर ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की ओर से मंगलवार को बिड़ला सभागार में आयोजित होने वाली 35वें एनुअल समिट और इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का। चार दिवसीय इस कार्यक्रम में आदित्य के अलावा यहां खगोलविद् 2015 में छोड़े गए इंडिया के पहले वेवलैंथ स्पेस ऑब्जर्वटॉरी एस्ट्रोसेट पर भी विचार रखेंगे। इस दौरान साइंटिस्ट्स एस्ट्रोसेट एक्स-रे ऑब्जर्वेशन जैसे विषयों पर भी बोलेंगे। समिट में इसरो साइंटिस्ट सहित 400 खगोलविद् शामिल होंगे।
समारोह की शुरुआत प्रेसिडेंशियल एड्रेसिंग से होगी, जिसमें इंटर -यूनिवर्सिटी फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स, पुणे के प्रोफेसर रामप्रकाश, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स के अन्नापूर्णि सुब्रमण्यम, इंटरनेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोनॉमी रिसर्च, ऑस्ट्रेलिया के लुका कोर्टिस, लंदन ग्लोबल यूनिवर्सिटी के जोनाथन टेनेसिन जैसे दिग्गज एक्सपट्र्स रूबरू होंगे।
वर्कशॉप और सेमिनार सेशन होंगे अट्रैक्शन बिड़ला प्लेनेटोरियम के सहायक निदेशक संदीप भट्टाचार्य ने बताया कि समिट से एक दिन पहले रिसर्च स्कॉलर्स के लिए वर्कशॉप भी आयोजित की जाएगी। इसमें ‘ग्रैविटेशनल वेब एस्ट्रोनॉमी, ‘एग्जो प्लेटेनरी साइंस, ‘आदित्य मिशन ‘एस्ट्रोसेट एक्स-रे ऑब्जर्वेशन और ‘हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग जैसे विषयों पर चर्चा होगी।
इसी तरह समिट के दौरान ‘सन एंड सोलर सिस्टम, ‘स्टार्ट आईएसएम और एस्ट्रोनॉमी, ‘एक्स्ट्रा गैलेटिक एस्ट्रोनॉमी, ‘कॉस्मोलॉजी और इंस्ट्रूमेंटेशन एंड टेक्निक्स जैसे विषय होंगे।