पानी की बचत जरूरी
आने वाले सालों में पानी लग्जरी हो जाएगा। ऐसे में आज से ही पानी के संरक्षण को लेकर गंभीरता दिखाई्र जानी चाहिए। पानी को वेस्ट नहीं करना चाहिए। कटिंग पानी एक अच्छा कॉन्सेप्ट है। आपके घर में यदि गेस्ट भी आता है, तो उतना ही पानी दें, जितना उन्हें पीना हो। वहीं होटल या रेस्तरां में भी पूरे ग्लास की बजाय ‘कटिंग ग्लास’ मांगना चाहिए, भले ही बाद में और पानी मांगा जा सकता है। मैं अपने बच्चे की स्कूल बॉटल को भी आधा ही भरती हूं, क्योंकि मुझे पता है, वह पूरी बॉटल पानी नहीं पी पाता। — रतिका भार्गव, फूड एंटरप्रिन्योर
आने वाले सालों में पानी लग्जरी हो जाएगा। ऐसे में आज से ही पानी के संरक्षण को लेकर गंभीरता दिखाई्र जानी चाहिए। पानी को वेस्ट नहीं करना चाहिए। कटिंग पानी एक अच्छा कॉन्सेप्ट है। आपके घर में यदि गेस्ट भी आता है, तो उतना ही पानी दें, जितना उन्हें पीना हो। वहीं होटल या रेस्तरां में भी पूरे ग्लास की बजाय ‘कटिंग ग्लास’ मांगना चाहिए, भले ही बाद में और पानी मांगा जा सकता है। मैं अपने बच्चे की स्कूल बॉटल को भी आधा ही भरती हूं, क्योंकि मुझे पता है, वह पूरी बॉटल पानी नहीं पी पाता। — रतिका भार्गव, फूड एंटरप्रिन्योर
चेन्नई जैसे हालात हो जाएंगे
यदि आज हम पानी बचाने की पहल नहीं करेंगे, तो चेन्नई जैसे हालात हो जाएंगे। बच्चे भी पानी बचाने को लेकर अवेयर हैं। ‘कटिंग पानी’ कॉन्सेप्ट इसीलिए यूनीक कॉन्सेप्ट हैं, क्योंकि अक्सर घरों व रेस्तरां में पूरा ग्लास पानी भरकर पीने की आदत बनी हुई है, फिर यदि कोई पूरा ग्लास नहीं पी पाता तो वो पानी वेस्ट हो जाता है। पानी को वेस्ट होते देख हम आंख बंद नहीं कर सकते। — देवयानी भटनागर, एजुकेशनिस्ट
यदि आज हम पानी बचाने की पहल नहीं करेंगे, तो चेन्नई जैसे हालात हो जाएंगे। बच्चे भी पानी बचाने को लेकर अवेयर हैं। ‘कटिंग पानी’ कॉन्सेप्ट इसीलिए यूनीक कॉन्सेप्ट हैं, क्योंकि अक्सर घरों व रेस्तरां में पूरा ग्लास पानी भरकर पीने की आदत बनी हुई है, फिर यदि कोई पूरा ग्लास नहीं पी पाता तो वो पानी वेस्ट हो जाता है। पानी को वेस्ट होते देख हम आंख बंद नहीं कर सकते। — देवयानी भटनागर, एजुकेशनिस्ट
खाली ग्लास और पानी का जग सर्व करें
यदि आपको लगता है कि गेस्ट को आधा ग्लास पानी देना अच्छा नहीं लगेगा, तो आप खाली ग्लास के साथ पानी का जग सर्व कर सकते है, जिससे गेस्ट को जितना पानी पीना है, वह अपने आप ले सकता है। ऐसा करने से लोगों में भी अवेयरनेस आएगी। हमारी संस्कृति में पानी को बचाने की पहल सालों से होती आई है, आज भी शहरी इलाके से ज्यादा ग्रामीण इलाकों में पानी को संभाल कर रखा जाता है। ‘कटिंग पानी’ हमारी संस्कृति का एक हिस्सा है, नया शब्द है, इसीलिए यूनीक लग रहा है। — मोनिषा थारियामल, फैशन डिजाइनर
सरकार पानी देती है सस्ता, इसीलिए इसकी हालात है खस्ता
शहर में जलदाय विभाग के पानी की कीमत जानकार आपको हैरानी होगी, शहर में इतने सस्ते में पानी मिलता है, जिसके चलते लोग पानी को लापरवाही से इस्तेमाल करते हैं, उसके वेस्ट पर ध्यान नहीं देते हैं। जानकारी के अनुसार सरकारी पानी की कीमत एक रूपए 72 पैसे प्रति हजार लीटर है। जरा सोचिए, यदि पानी का बिल बिजली के बिल जितना महंगा आने लगे तो हम इसे कैसे सहेज कर रखेंगे। पानी की अहमियत समझिए और इसे वेस्ट होने से बचाइए।
शहर में जलदाय विभाग के पानी की कीमत जानकार आपको हैरानी होगी, शहर में इतने सस्ते में पानी मिलता है, जिसके चलते लोग पानी को लापरवाही से इस्तेमाल करते हैं, उसके वेस्ट पर ध्यान नहीं देते हैं। जानकारी के अनुसार सरकारी पानी की कीमत एक रूपए 72 पैसे प्रति हजार लीटर है। जरा सोचिए, यदि पानी का बिल बिजली के बिल जितना महंगा आने लगे तो हम इसे कैसे सहेज कर रखेंगे। पानी की अहमियत समझिए और इसे वेस्ट होने से बचाइए।