पेंशन के नाम सरकार को लाखों की चपत लगाने में कई ठग गिरोह सक्रिय हैं। सबसे अधिक ठगी वृद्धजन पेंशन योजना में की जा रही है। ठगों ने उन खातों को चुना है, जिनमें संदेह के आधार पर पेंशन रोकी हुई है। ऐसे पेंशन खाते ढाई लाख से अधिक हैं। इनकी सूची सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के पोर्टल पर भी उपलब्ध है।
ठग पहले किसी परिवार का जन आधार कार्ड तलाशते हैं। इसमें ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत निवास स्थान के साथ बैंक खाता नम्बर बदल देते हैं। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इनकी ओर से किए गए बदलाव की प्रशासनिक स्तर पर तत्काल पुष्टि की जा रही है। आशंका है कि सरकारी कर्मचारी ठगों से मिले हुए हैं। बदलाव बाद ठग पुराना पेंशन खाता तलाशते हैं।
खाता जिस कारण से बंद किया था, उसकी पूर्ति के लिए एसएसओ आइडी (सिंगल साइन ऑन) से फर्जी एंट्री करते हैं। आवेदन तस्दीक होते ही पेंशन खाता री-ओपन हो जाता है। इससे ठगों के खाते में उस दिन तक की पेंशन पहुंच रही है, जिस दिन खाता ब्लॉक किया गया था। जिस नाम से पेंशन जारी हुई उस व्यक्ति को इसकी खबर भी नहीं लगती।
भीलवाड़ा, सिरोही जैसलमेर में अचानक कई लोगों की पेंशन शुरू हो गई। इसकी तस्दीक की गई तो सामने आया कि पेंशनधारक किसी जिले का है और उसमें निवास स्थान और बैंक खाता नम्बर किसी दूसरे जिले का है।
दौसा में गिरोह पकड़ा, विस्तृत जांच बाकी
प्रदेश में री-ओपन प्रक्रिया पर लगाई रोक
ठगी के मामलों की जानकारी मिलने के बाद सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने रैंडम चैक का कदम उठाया है। इसमें संदेहास्पद मामलों की मैनुअल वैरिफिकेशन की जा रही है। साथ ही प्रदेश स्तर पर पेंशन खातों कोरी-ओपन करने से रोक दिया गया है। दौसा पुलिस ने एक ठग गिरोह को पकड़ा है, लेकिन अभी विस्तृत जांच बाकी है।
8 लाख पेंशनर्स को लाभान्वित किया
सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के पात्र लाभार्थियों को सरलता, सुगमता, तत्काल एवं पारदर्शी तरीके से पेंशन स्वीकृत करने के लिए बिना मानवीय हस्तक्षेप के जन आधार डेटाबेस के आधार पर ऑटो अप्रूवल की प्रक्रिया से विभाग ने 8 लाख पेंशनर्स को लाभान्वित किया है। कुछ प्रकरण साइबर ठगी के सामने आए हैं। इनकी रोकथाम के लिए जन आधार प्राधिकरण को पत्र लिखा है।
-डॉ समित शर्मा, सचिव सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग