पिछले कई दिनों से असमंजस की स्थिति बनी हुई थी कि किस तारीख को जन्माष्टमी उत्सव मनाया जाएगा। अक्सर दो दिन जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस बार भी 23 और 24 को जन्माष्टमी है, लेकिन शहर के प्रमुख गोविंददेवजी मंदिर सहित कई मंदिरों में 24 को ही जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। बता दें शनिवार को उदया तिथि अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र के साथ ही सर्वार्थ और अमृत सिद्धियोग का संयोग भी रहेगा। इस कारण भाद्रपद मास में आने वाले इन दोनों संयोग के साथ-साथ छह ग्रहों के स्वराशि, मित्र राशि और उच्च राशि में होने से यह दिन कृष्ण भक्तों के लिए श्रेष्ठ फलदायी होगा।
कृष्ण जन्म के अवसर पर नौ ग्रह स्वराशि, उच्च और मित्र राशि में थे। इस साल भी कुछ ऐसे ही संयोग देखने को मिल रहे हैं। इस बार छह ग्रह इस तरह का संयोग बना रहे हैं। इसी के साथ शनिवार रात को चंद्रमा, मंगल, शुक्र, बृहस्पति और सूर्य के साथ केंद्र योग भी बनाएंगे। इससे हर क्षेत्र में श्रेष्ठता के साथ ही व्यापारिक वर्ग को विशेष फायदा भी मिलेगा।
ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्त गौड़ का कहना है कि भगवान कृष्ण के प्राकट्य के शुभ अवसर पर चंद्रमा वृषभ राशि में था। इस बार भी ऐसे ही संयोग के साथ जयंती योग में प्राकट्योत्सव मनाया जाएगा।
जन्माष्टमी के पावन अवसर को देखते हुए गोविंददेवजी मंदिर सहित शहर के अन्य मंदिरों में रोशनी व विशेष सजावट की जा रही है। गोविंददेवजी मंदिर में सजावट की तैयारियां अंतिम दौर में हैं। वहीं शहर के अन्य प्रसिद्ध कृष्ण मंदिरों में खूब सजावट की जा रही है। साथ ही सभी मंदिरों भक्ति संगीत और कृष्ण लीला से जुड़े विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।