कनक वृंदावन: भगवान के नाम से ही क्षेत्र की पहचान
सिटी पैलेस स्थित सूरजमहल में आने से पहले भगवान गोविंददेवजी ढाई साल तक कनक वृंदावन में रहे। यहां आमेर नरेश मिर्जा राजा जयसिंह प्रथम ने मंदिर को नया रूप दिया। राम सिंह प्रथमए बिशन सिंह और सवाई जयसिंह ने गोविंददेवजी के इस स्थान को दूसरा वृंदावन बनाने की कल्पना को साकार किया। विक्रम संवत 1771 में भगवान गोविंददेव जी प्रतिमा को प्रतिष्ठापित किया। गोविंददेव वृंदावन के प्रधान ठाकुर रहें। प्रतिष्ठित होने पर इस क्षेत्र का नाम कनक वृंदावन पड़ा
बांके बिहारी मंदिरः वृंदावन के बाद देश में दूसरा मंदिर
गंगापोल आमेर रोड स्थित बांके बिहारी मंदिर भी कई मायनों में खास है। वृंदावन के बाद भी जयपुर में यह देश का दूसरा ऐसा मंदिर है। महंत पंण् राजेश शर्मा तथा पंण् पुनीत शर्मा ने बताया कि यहां पर भगवान कृष्ण बांके रूप में अर्थात टेढ़े रूप में विराजमान हैं। यहां जन्माष्टमी पर 101 किलो दूध से भगवान कृष्ण का अभिषेक होगा। मंदिर की स्थापना राजा मानसिंह के जमाने में सन 1853 में हुई थी।
गोपीनाथजी: वृंदावन से जयपुर लाए भक्त
भगवान कृष्ण के प्रपौत्र द्वारा बनाई गई दूसरी मूर्ति में भगवान कृष्ण के वक्षस्थल की छवि आईए जो जयलाल मुंशी के चौथे चौराहे पर स्थित गोपीनाथ जी मंदिर में विराजमान है। वृंदावन से मुगलों के आक्रमण से बचाकर भक्त भगवान को जयपुर ले आए। महंत सिद्धार्थ गोस्वामी ने बताया कि यहां 1819 में नंदकुमार वसु द्वारा नवनिर्मित मन्दिर में प्रतिमूर्ति स्थापित की गई।
सरस निकुंजः 150 वर्ष पुराना मंदिर पदावलियों का गायन
सुभाष चौकए पानो का दरीबा स्थित आचार्य पीठ सरस निकुंज 150 साल पुराना स्थान है। महंत अलबेली माधुरी शरण ने बताया कि यहां ठाकुर राधा सरस बिहारी निकुंज सेवा का दर्शन है। युगल सरकार की मार्धुय भक्ति रस की उपासना है। पदावलियों के जरिए ही निकुंज सेवा का दर्शन कराया जाता है। यहां जन्माष्टमी व नंदोत्सव पर पूजा व आरती होगी।
राधादामोदर मंदिरः बाल रूप में है ठाकुरजी की प्रतिमा
जयपुर को वृन्दावन बनाने में गोविंद देव तो प्रधान हैंए लेकिन राजधानी में भगवान गोपीनाथए राधा विनोद और राधा दामोदर मंदिर का खासा महत्व है। चौड़ा रास्ता स्थित राधा दामोदर मंदिर में स्थापित मूर्ति वृंदावन से तत्कालीन महाराजा सवाई जयसिंह जी के आग्रह पर लाकर प्रतिष्ठित की गई। यहां पर भगवान दामोदर ठाकुर जी के नटखट बाल स्वरूप में विराजमान हैं।
जगत शिरोमणिः मीरा संग विराजे हैं मुरलीधर
आमेर स्थित जगत शिरोमणि मंदिर में भगवान कृष्ण मीरा संग विराजे हैं। पुजारी राजेंद्र शर्मा ने बताया कि मंदिर लगभग 422 वर्ष से अधिक पुराना है। इसका निर्माण महाराजा मानसिंह प्रथम की पत्नी महारानी कनकवती ने पुत्र जगतसिंह की स्मृति में करवाया था। यह मंदिर राजपूत स्थापत्य कला का अनूठा उदाहरण है। यहां फिल्म धड़क और भूलभुलैया की भी शूटिंग हो चुकी है।