जयगढ़ व नाहरगढ़ के बीच स्थित चरण मंदिर इतना भव्य है जो किसी प्राचीन महल सा है। कछवाहा शैली के किले की बनावट के साथ ही कथा के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण महाराजा मानसिंह प्रथम ने करवाया था। जिन्हें खुद भगवान श्रीकृष्ण ने स्वप्न में इस जगह पर अपने और अपनी गायों के चरण चिह्न होने की बात बताई। तब राजा ने इस जगह की खोज करवाई और अंबिका वन यानी आमेर पहाड़ी पर यह स्थान मिलने पर वह अपने पुरोहितों सहित यहां पहुंचे। पुरोहितों ने बताया कि यह चिह्न द्वापर युग के समय के हैं और उन्हें श्रीमद्भागवत कथा के दसवें स्कंध के चौतीसवे अध्याय में वर्णित विद्याधर सुदर्शन के उद्धार की कथा सुनाई।
राजस्थान के ये प्रसिद्ध तीन कृष्ण मंदिर, जहां पूरी होती है हर मनोकामना
इसलिए है खास है चरण मंदिर:महंत सुरेश कुमार पारीक ने बताया कि उक्त कथा के मुताबिक हजारों साल पहले मथुरा से द्वारिका जाते समय कृष्ण आमेर के रास्ते से निकले थे। वे सखाओं गायों और नंद बाबा के साथ आए। यहां रहने वाले एक अजगर ने जब नंद बाबा के पांव पकड़ लिए। तो श्रीकृष्ण ने अपने पांव से उस अजगर को स्पर्श किया और अजगर योनि की मुक्ति हुई। मंदिर में द्वापर युग के श्रीकृष्ण के दाहिने पैर और उनकी गायों के पांच खुरों के प्राकृतिक निशान की पूजा होती है। यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी श्रद्धा से यहां भंडारे आदि का आयोजन भी करते हैं। यहां कई कदम्ब के पेड़ भी हैं। रोजाना यहां सैकड़ों की संख्या में भक्त पहुचंते हैं।