scriptअनोखा मंदिर: यहां श्रीकृष्ण के चमत्कारी चरण चिह्न की होती है पूजा, राजा को भगवान ने खुद बताई थी चरण चिह्न होने की बात | Janmashtmi 2022: Charan Mandir in Jaipur, charan mandir jaipur histor | Patrika News

अनोखा मंदिर: यहां श्रीकृष्ण के चमत्कारी चरण चिह्न की होती है पूजा, राजा को भगवान ने खुद बताई थी चरण चिह्न होने की बात

locationजयपुरPublished: Aug 18, 2022 03:58:37 pm

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santosh

Janmashtmi 2022: राजधानी जयपुर प्रमुख मंदिरों में कई रोचक बातें भी मंदिर के इतिहास और खूबियों के लिए खास है। शहर की धरां भी भगवान श्रीकृष्ण के चरणों से पवित्र हुई है। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण की इस यात्रा का गवाह है, नाहरगढ़ की पहाड़ी स्थित Charan Mandir ।

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Janmashtmi 2022 राजधानी जयपुर प्रमुख मंदिरों में कई रोचक बातें भी मंदिर के इतिहास और खूबियों के लिए खास है। शहर की धरां भी भगवान श्रीकृष्ण के चरणों से पवित्र हुई है। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण की इस यात्रा का गवाह है, नाहरगढ़ की पहाड़ी स्थित Charan Mandir । पत्रिका टीवी के लिए हर्षित जैन की रिपोर्ट-
महाराजा मानसिंह प्रथम ने करवाया था निर्माण:
जयगढ़ व नाहरगढ़ के बीच स्थित चरण मंदिर इतना भव्य है जो किसी प्राचीन महल सा है। कछवाहा शैली के किले की बनावट के साथ ही कथा के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण महाराजा मानसिंह प्रथम ने करवाया था। जिन्हें खुद भगवान श्रीकृष्ण ने स्वप्न में इस जगह पर अपने और अपनी गायों के चरण चिह्न होने की बात बताई। तब राजा ने इस जगह की खोज करवाई और अंबिका वन यानी आमेर पहाड़ी पर यह स्थान मिलने पर वह अपने पुरोहितों सहित यहां पहुंचे। पुरोहितों ने बताया कि यह चिह्न द्वापर युग के समय के हैं और उन्हें श्रीमद्भागवत कथा के दसवें स्कंध के चौतीसवे अध्याय में वर्णित विद्याधर सुदर्शन के उद्धार की कथा सुनाई।
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इसलिए है खास है चरण मंदिर:
महंत सुरेश कुमार पारीक ने बताया कि उक्त कथा के मुताबिक हजारों साल पहले मथुरा से द्वारिका जाते समय कृष्ण आमेर के रास्ते से निकले थे। वे सखाओं गायों और नंद बाबा के साथ आए। यहां रहने वाले एक अजगर ने जब नंद बाबा के पांव पकड़ लिए। तो श्रीकृष्ण ने अपने पांव से उस अजगर को स्पर्श किया और अजगर योनि की मुक्ति हुई। मंदिर में द्वापर युग के श्रीकृष्ण के दाहिने पैर और उनकी गायों के पांच खुरों के प्राकृतिक निशान की पूजा होती है। यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी श्रद्धा से यहां भंडारे आदि का आयोजन भी करते हैं। यहां कई कदम्ब के पेड़ भी हैं। रोजाना यहां सैकड़ों की संख्या में भक्त पहुचंते हैं।
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