इसके अलावा सोफे और बेड, पारंपरिक झूले, टोकरी भी मौजूद हैं। इन सभी की कीमत 100 रुपए से शुरू होकर हजारों में है। बाजारों में लड्डू गोपाल के लिए मोर पंख से बनी पोशाक आकर्षण का केंद्र है। रंग-बिरंगे फूलों की डिजाइन और मोतियों से जड़ी ड्रेस भी ठाकुरजी के भक्तों को लुभा रही है। इनकी कीमत 50 रुपए से शुरू होकर पांच हजार रुपए तक है। बच्चों की ड्रेस को लेकर भी लोगों में क्रेज देखा जा रहा है। जयपुर के पुरोहित जी के कटले में बच्चों की ड्रेस 100 रुपए से लेकर 800 रुपए तक की रेंज में उपलब्ध है।
जन्माष्टमी पर नंदलला को झुलाने के लिए विशेष तरह के झूले बाजार में उपलब्ध हैं। इन झूलों की कीमत इनके आकार के अनुसार अलग-अलग है। इन झूलों में लकड़ी, एल्यूमीनियम, स्टील, आयरन सहित चांदी के झूले भी शामिल हैं। लकड़ी के झूलों पर सोने की कारीगरी के कारण बाजार में इनकी मांग अधिक है। ज्वैलर्स अंकित जैन ने बताया कि चांदी का झूला दो हजार से 25 हजार रुपए कीमत का है। इसके अलावा सोने और चांदी की बनी बांसूरी भी खासतौर पर तैयार की गई है। चांदी की बांसुरी पांच रुपए से लेकर दो हजार रुपए तक की कीमत में मौजूद है। कान्हा के लिए सोने की चेन, कानों के कुंडल और हीरे-मोती जड़े मुकुट भी पसंद किए जा रहे हैं।