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‘करोड़पति’ जेडीए- नगर निगम! एक ज़मीनों से तो दूसरा शौच करने वालों से कर रहा वसूली

locationजयपुरPublished: Mar 23, 2018 09:07:50 am

Submitted by:

rajesh walia

जेडीए ने 500 करोड़ की 13 बीघा जमीन पर किया कब्ज़ा और वहीं नगर निगम ने खुले में शौच करने वालों से वर्ष 2017-18 में 2 करोड़ 25 लाख 26 हजार 840 रुपए वसूल

jda
जयपुर।
राजधानी के जेएलएन मार्ग पर ओटीएस चौराहे पर जलधारा के पास से सरस संकुल तक 500 करोड़ की 13 बीघा जमीन पर गुरुवार को जेडीए ने कब्जा ले लिया। हाईकोर्ट का फैसला पक्ष में आने के बाद जेडीए ने कब्जा लेने की कार्रवाई की। आर्थिक तंगी से जूझ रहे जेडीए के लिए यह बड़ा मामला है। जमीन स्वामित्व को लेकर कई वर्षों से विभिन्न न्यायालय में मामला विचाराधीन रहा। इस बीच जेडीए ने यहां संस्थानिक स्कीम का प्लान भी बना लिया, लेकिन कोर्ट स्टे के कारण बीच में ही रोक दिया गया। जेडीए उपायुक्त बीरबल सिंह, प्रवर्तन अधिकारी कैलाश चौधरी सहित अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में जेडीए स्वामित्व के बोर्ड लगाए गए।

फैसले के 45 दिन बाद कब्जा
हाईकोर्ट ने 5 फरवरी को जेडीए के पक्ष में फैसला सुनाया। इसके बाद जेडीए ने विधिक राय के लिए मामला अतिरिक्त महाधिवक्ता के पास भेजा। कुछ दिन पहले कब्जा लेने की हरी झण्डी मिल गई। गुरुवार को जेडीसी ने कब्जा लेने के निर्देश दिए।

जागीर पुनग्र्रहण एक्ट के तहत हुई थी अवाप्त…
जेडीए अधिकारियों ने बताया कि जमीन जागीर पुनग्र्रहण एक्ट, 1952 के तहत ली गई थी। इसमें एयरपोर्ट विस्तार के लिए ली गई जमीन का मामला भी है। उस समय जमीन टी.एन. साहनी के पास थी। सरकार ने जमीन के बदले नगद मुआवजा दिया। इस बीच नेशनल हाउसिंग सोसायटी ने जमीन पर खुद का स्वामित्व का दावा करते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सोसायटी ने यहां स्कीम नं. 4 सृजित कर भूखंड बेचे। ऐसे में अन्य सदस्य भी कोर्ट पहुंचे। जेडीए अधिकारियों ने बताया कि हाईकोर्ट ने 5 फरवरी के फैसले में माना कि जब साहनी का ही इस जमीन के मालिकाना हक को लेकर क्लेम नहीं है तो सोसायटी का स्वामित्व तो बनता ही नहीं है। साहनी के परिवारजनों ने जमीन स्वामित्व नहीं, बल्कि मुआवजा राशि कम देने का केस किया हुआ है।
दायर की केविएट…
हाईकोर्ट की एकल बैंच का फैसले के खिलाफ डबल बैंच में भी अपील की गई है। इसी कारण जेडीए ने वहां केविएट दायर कर दी है, जिससे की किसी भी तरह के आदेश से पहले जेडीए की सुनवाई हो। हाईकोर्ट के फैसले के आधार पर जमीन पर कब्जा लिया गया है। कोर्ट ने नेशनल हाउसिंग सोसायटी का स्वामित्व नहीं माना है। यहां योजना सृजित की जाएगी। वैसे पहले संस्थानिक उपयोग का प्लान तैयार किया गया था। जागीर पुनग्र्रहण एक्ट के तहत जमीन ली गई थी।
– नगर निगम ने हाईकोर्ट को बताया
वही दूसरी तरफ मोतीडूंगरी के पीछे के इलाके में खुले में शौच की समस्या को लेकर जयपुर नगर निगम ने हाइकोर्ट को बताया है कि खुले में शौच करने वालों से वर्ष 2017-18 में 2 करोड़ 25 लाख 26 हजार 840 रुपए वसूल किए गए हैं। निगम की शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर शपथ पत्र के साथ पेश पालना रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। न्यायाधीश के एस झवेरी और वी के व्यास की खंडपीठ ने इसे रिकॉर्ड पर लेते हुए सुनवाई 12 अप्रैल तक टाल दी। पालना रिपोर्ट निगम आयुक्त रवि जैन की ओर से पेश की गई है, जिसमें बताया है कि मोतीडूंगरी के पीछे स्थित इलाके को खुले में शौच मुक्त घोषित किया जा चुका है। यदि कोई व्यक्ति खुले में शौच करता पाया जाता है तो जुर्माना वसूला जाता है। शहर को गंदगी से मुक्त रखने के लिए विभिन्न स्थानों पर शौचालयों का निर्माण किया गया है, जबकि मोती डूंगरी गणेश मंदिर के पीछे स्थित खाली जमीन को लेकर मुकदमे अदालत में विचाराधीन हैं इस कारण जमीन पर फैंसिंग नहीं की जा सकती।
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