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कीमत बढ़ी तो लालच आया, अपने ही नक्शे नहीं मान रहा जेडीए

locationजयपुरPublished: Sep 03, 2018 12:00:12 pm

Submitted by:

Ashwani Kumar

—बहाव क्षेत्र में जेडीए अधिकारियों पर ही लोग लगा रहे कब्जा करवाने का आरोप
 

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कीमत बढ़ी तो लालच आया, अपने ही नक्शे नहीं मान रहा जेडीए

जयपुर. द्रव्यवती नदी प्रोजेक्ट के आस-पास की जमीन की जैसे ही कीमत बढ़ी तो अब इस पर सभी की निगाहें टिक गईं। नदी के बहाव क्षेत्र वाली जमीन को कब्जाने का काम भी शुरू हो गया है। गोपालपुरा, रिद्धि-सिद्धि पुलिया के पास ऊषा विहार कॉलानी के लोग जेडीए खसरा बदलकर खास लोगों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगा रहे हैं। कुछ ऐसी ही स्थिति पास की 10-बी विस्तार नगर की भी हुई है।
लोगों का कहना है कि खसरा बदलने से करीब 50 मकान प्रभावित हो रहे हैं। यहां 28 अगस्त से कार्रवाई चल रही है। दो मकानों को ध्वस्त कर दिया और नदी की बांउड्री से करीब 150 फीट दूर मकानों को चिन्हित कर इनको तोडऩे की बात जेडीए अधिकारी कह रहे हैं। जबकि यहां पर लोग 1981 से पटृटे लेकर रह रहे हैं।
लोगों का कहना है कि हर बार जेडीए डिमार्केशन को बदल लेता है। लोगों का आरोप है कि जेडीए अपने पुराने नक्शों को ही मानने तो तैयार नहीं हैं। वहीं जोन उपायुक्त-05 नवल कुमार बैरवा ने जेडीए की कार्रवाई को सही बताया है।
नाम ही बदल दिया
ऊषा विहार के सामने द्रव्यवती नदी को पार कर बिस्ठल नगर कॉलोनी है। दोनों खसरों का आंशिक हिस्सा ऊषा नगर की ओर है। बिस्ठल नगर की ओर दोनों खसरों का अधिकतर हिस्सा बहाव क्षेत्र में आता है। बहाव क्षेत्र में आने से निर्माण संभव नहीं है। पहले भी इन दोनों खसरा वाली जगह पर कार्रवाई तक जेडीए ने की थी। जेडीए अधिकारियों ने खास को फायदा पहुंचान के लिए भूमि का वर्गीकरण खातली से गैर-मुमकिन में बदल दिया।
साल भर बाद आदेश की पालना
जेडीए अधिकारी 18 अगस्त 2017 को संयुक्त शासन सचिव, प्रथम द्वारा जेडीए सचिव को भेजे गए पत्र को दिखाकर कार्रवाई कर रहे हैं। इसमें दोनों खसरा से अतिक्रमण की भूमि को हटाने की बात कही है। साथ ही इस पत्र के बिंदु दो में खिला है कि प्रार्थी शिवनानी की खाली कराई गई भूमि को प्राधिकरण प्रार्थी को सौंपे। इस पत्र में प्रार्थी को पट्टा जारी करने की बात भी कही गई है।
द्रव्यवती नदी के लिए अब कोई जमीन नहीं ली जा रही है। यह मामला मेरी जानकारी में नहीं है। यदि ऐसी कोई दिक्कत है तो उसका जल्द समाधान करवाता हूं।
—वैभव गालरिया, जेडीसी

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