अब कार नहीं फॉरच्यूनर चाहिए जेडीए के अधिकारी, इंजीनियर और वाहन के लिए अधिकृत कर्मचारी अब तक अलग—अलग श्रेणी की कारों में सफर करते हैं। जेडीए ने अधिकारियों—कर्मचारियों और कार्यालय उपयोग के लिए कार समेत दूसरे वाहन खरीद रखे हैं या किराए पर ले रखे हैं। लेकिन अब जेडीए अधिकारियों को कार से आॅफिस आना जाना गवारा नहीं। इसलिए जेडीए अधिकारियों ने बड़े साहबों के लिए फॉरच्यूनर और महिन्द्रा की एसयूवी गाड़ी किराए पर लेने की तैयारी कर ली है। जेडीए प्रशासन ने अफसरों को फॉरच्यूनर और महिन्द्रा की एसवीयू गाड़ी मुहैया करवाने के लिए बाकायदा निविदा (टेंडर) भी जारी कर दी है।
मंत्रियों के पास भी नहीं है फॉरच्यूनर जानकारी के अनुसार राज्य सरकार के मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव, मंत्री और राज्य मंत्री भी फॉरच्यूनर के लिए एनटाइटल्ड नहीं है। मुख्य सचिव और मंत्रियों को भी मोटार गैराज विभाग इनोवा गाड़ी मुहैया करवा रहा है। जबकि अधिकारी तय मानकों की कार में सवारी कर रहे हैं। लेकिन जेडीए अधिकारियों ने खुद को मुख्य सचिव और मंत्रियों से भी ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हुए सरकारी पर फॉरच्यूनर की सवारी करने की कवायद शुरू कर दी है। जेडीए अधिकारियों को अब घर से कार्यालय आने जाने के लिए फॉरच्यूनर चाहिए।
आर्थिक तंगी से रूके जनता के काम मंदी के दौर में जेडीए आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। लेकिन जेडीए के अधिकारी अपने शाहीठाठ पर जनता का पैसा पानी की तरह खर्च कर रहे हैं। पैसों की कमी के कारण जेडीए के जनता से जुड़े प्रोजेक्ट और छोटे—छोटे काम भी अटक गए हैं। जेडीए प्रशासन ने मॉनसूनी सीजन में टूटी सड़कों की मरम्मत करवाकर लोगों को राहत देने की बजाय खुद के लिए फॉरच्यूनर का इंतजाम करना जरूरी समझा है। तंगहाली के दौर में जेडीए अधिकारियों के शाहीठाठ सवालों के घेरे में है।
मित्तव्यत्ता का परिपत्र डस्टबिन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सत्ता संभालते ही सभी सरकारी विभागों और कार्यालयों में फिजूलखर्ची रोकने और मित्तव्यत्ता के लिए परिपत्र जारी कर दिया था। लगता है जेडीए प्रशासन ने सरकारी परिपत्र को डस्टबिन में फेंक दिया है। तभी तो फिजूलखर्ची रोकना तो दूर वाहनों पर शाही खर्च करने की तैयारी कर ली है। जेडीए प्रशासन रेवेन्यू बढ़ाने के लिए सरकारी जमीन बेचने के लिए तरह तरह के जतन कर रहा है। जमीन बेचकर कमाए पैसे से अब जेडीए अफसर फॉरच्यूनर की सवारी करेंगे।