60 फीसदी इमारतों में अवैध निर्माण
शहर में स्वीकृत नक्शों के विपरीत बने अवैध निर्माण को बेचने का खेल चल रहा है। जेडीए और नगर निगम ने भवन विनियमों के तहत नक्शे स्वीकृत किए, लेकिन बिल्डर व अन्य निर्माणकर्ताओं ने ठेंगा दिखाते हुए मनमाने तरीके से निर्माण कर लिया। इसका खुलासा जेडीए की ही जांच रिपोर्ट में पहले ही हो चुका है। जेडीए ने शहर में 202 इमारतों की जांच की, जिसमें करीब 60 फीसदी में निर्माण स्वीकृत नक्शे के विपरीत मिला। यहां तक कि छत हिस्से में ही फ्लैट व पेन्टहाउस का निर्माण कर बेचान कर चांदी कूटी जाती रही। ऎसा नहीं है कि जेडीए के संबंधित अफसरों को इसकी जानकारी नहीं होगी, लेकिन गर्म होती जेब के आगे नियम-कायदे बौने साबित होते गए। गंभीर यह है कि अवैध निर्माण का पता लगने के बावजूद अब तक इन पर कार्रवाई नहीं की गई।
शहर में स्वीकृत नक्शों के विपरीत बने अवैध निर्माण को बेचने का खेल चल रहा है। जेडीए और नगर निगम ने भवन विनियमों के तहत नक्शे स्वीकृत किए, लेकिन बिल्डर व अन्य निर्माणकर्ताओं ने ठेंगा दिखाते हुए मनमाने तरीके से निर्माण कर लिया। इसका खुलासा जेडीए की ही जांच रिपोर्ट में पहले ही हो चुका है। जेडीए ने शहर में 202 इमारतों की जांच की, जिसमें करीब 60 फीसदी में निर्माण स्वीकृत नक्शे के विपरीत मिला। यहां तक कि छत हिस्से में ही फ्लैट व पेन्टहाउस का निर्माण कर बेचान कर चांदी कूटी जाती रही। ऎसा नहीं है कि जेडीए के संबंधित अफसरों को इसकी जानकारी नहीं होगी, लेकिन गर्म होती जेब के आगे नियम-कायदे बौने साबित होते गए। गंभीर यह है कि अवैध निर्माण का पता लगने के बावजूद अब तक इन पर कार्रवाई नहीं की गई।
मखौल उड़ाने वालों को आंखें ही दिखाई
भवन विनियम व स्वीकृत नक्शों का मखौल उड़ाने वाले निर्माणकर्ताओं और निर्माण कराने वाले जिम्मेदार अफसरों पर पुख्ता कार्रवाई नहीं कर जेडीए, नगर निगम अप्रत्यक्ष तौर पर अवैध निर्माण को बढ़ावा दे रहा है। चार मंजिला इमारतों में अवैध निर्माण मिलने के बावजूद कार्रवाई नहीं की गई। साथ ही व्यावसायिक इमारतों की जांच भी केवल “आंख” दिखाने तक ही सीमित रही। ध्वस्तीकरण की बजाय न्यायालय में चालान पेश कर इतिश्री कर ली गई। इस जांच प्रक्रिया में भी कई सैकड़ों इमारतें पकड़ से बाहर ही रही, जहां भी विनियमों के विपरीत निर्माण किया गया है।
भवन विनियम व स्वीकृत नक्शों का मखौल उड़ाने वाले निर्माणकर्ताओं और निर्माण कराने वाले जिम्मेदार अफसरों पर पुख्ता कार्रवाई नहीं कर जेडीए, नगर निगम अप्रत्यक्ष तौर पर अवैध निर्माण को बढ़ावा दे रहा है। चार मंजिला इमारतों में अवैध निर्माण मिलने के बावजूद कार्रवाई नहीं की गई। साथ ही व्यावसायिक इमारतों की जांच भी केवल “आंख” दिखाने तक ही सीमित रही। ध्वस्तीकरण की बजाय न्यायालय में चालान पेश कर इतिश्री कर ली गई। इस जांच प्रक्रिया में भी कई सैकड़ों इमारतें पकड़ से बाहर ही रही, जहां भी विनियमों के विपरीत निर्माण किया गया है।