दर असल जयपुर व जोधपुर कमिश्नरेट के गठन के समय से ही राजपासा में कार्रवाई भी जारी थी। इस बीच राजपासा से जुड़े एक मामले में दो वर्ष पहले हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कलक्टर (
Jaipur Collector ) की शक्तियां सीधे कमिश्नर को देना गलत करार दिया था। पुलिस ने कार्रवाई के अधिकार के लिए पासा एक्ट और सीआरपीसी में संशोधन के लिए सरकार से मदद मांगी। सरकार ने विधिक राय का हवाला देते हुए संशोधन से इनकार कर दिया था। पुलिस के पत्र के जवाब में सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि अन्य जिलों की तरह कमिश्नर भी राजपासा की कार्रवाई जिला कलक्टर के आदेश से करे। हालांकि दोनों ही शहरों में इस व्यवस्था को नहीं अपनाया गया।
अब कमिश्नरेट ने लिखा पत्र राजपासा में कार्रवाई के लिए पुलिस ने फिर कानून में संशोधन की मांग उठाई है। जयपुर के कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव व एडिशनल कमिश्नर संतोष कुमार तुकाराम ने पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखा है। इसमें कानून में संशोधन कर कलक्टर पद के साथ कमिश्नर पद को शामिल करने की मांग की है। एडीजी क्राइम बी.एल.सोनी ने बताया कि सरकार से स्थिति स्पष्ट करने तथा आवश्यक संशोधन पर बात की जा रही है।
यों दी गई थी शक्तियां जयपुर-जोधपुर में कमिश्नरेट स्थापित कर 4 जनवरी 2011 को नोटिफिकेशन जारी किया गया और राजपासा की तरह करीब 25 एक्ट की शक्तियां कलक्टर से स्थानांतरित कर पुुलिस कमिश्नर को दी गई। जयपुर कमिश्नरेट में पासा के तहत 2016 में सोडाला थाने के हिस्ट्रीशीटर राजेश उर्फ राजू पंडित पर कार्रवाई की गई थी। राजेश ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पेश की। अदालत ने मार्च 2017 को दिए आदेश में माना कि पासा एक्ट व सीआरपीसी के तहत कलक्टर के अधिकार सीधे ही कमिश्नर को स्थानांतरित नहीं हो सकते। यह सीआरपीसी के विपरीत है।
इस कानून में एक साल जमानत नहीं
राजस्थान प्रिवेंशन ऑफ एंटी सोशियल एक्टीविटीज एक्ट 2006 (राजपासा) के तहत उन सक्रिय समाज कंटकों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है, जिनसे आमजन भयभीत रहते हैं। ऐसे आरोपितों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के लिए गृह विभाग से नोटिफिकेशन जारी होने पर पुलिस जिला मजिस्ट्रेट (कलक्टर) को प्रस्ताव भेजती है। पुलिस के प्रस्ताव पर कलक्टर दोनों पक्षों को सुनकर आदेश जारी करता है। इसे अन्तिम रूप हाईकोर्ट का सलाहकार बोर्ड से इजाजत मिलने पर मिलता है। इसके बाद आरोपित को एक साल के लिए निरुद्ध किया जाता है।
पहले भी लिखे गए पत्र हाइकोर्ट के आदेश के बाद एसीपी सोडाला ने अतिरिक्त महाधिवक्ता को 11 अप्रेल 2017 को पत्र लिखकर अपील की मांग की, लेकिन उन्होंने अपील से इनकार कर दिया। पुलिस कमिश्नर के पत्र पर पुलिस मुख्यालय ने मई 2017 को गृह विभाग को पत्र लिखा। शक्तियां यथावत रखने के लिए सीआरपीसी की धारा 20 (2) में संशोधन कर जिला मजिस्ट्रेट के साथ पुलिस कमिश्नर को जोड़ कर पुलिस कमिश्नर को जिला मजिस्ट्रेट की शक्ति दी जाने की मांग की थी।