उसे 13 फरवरी को जेके लोन अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां सामने आया कि वह न्यूरोमायलाइटिस ऑपटिका नामक दुर्लभ ऑटो इम्यून बीमारी का शिकार है। जिससे दृष्टि एवं रीढ़ की हड्डी के कार्य का नुकसान हो जाता है। इसके बाद जेके लोन अस्प्ताल की दुर्लभ बीमारी का इलाज करने वाली टीम ने तत्काल इलाज शुरू किया। 15 फरवरी से उसकी दृष्टि में सुधार होना शुरू हुआ। लगातार उसमें सुधार हुआ और अब वह अच्छे से देख पा रहा है।
जेके लोन अस्पताल अधीक्षक डॉ अशोक गुप्ता ने बताया कि इस बीमारी में ऑपटिक अपने स्वयं के दिमाग की कोशिकाओं ऑपटिक नर्व एवं स्पाइलनल कोर्ड के खिलाफ काम करता है। इस बीमारी का कारण अभी ज्ञात नहीं है। लेकिन कई बार संक्रमण के बाद या ऑटो इम्युन सिस्टम रियेक्ट कर ने से से भी हो जाती है। इस बीमारी में सूजन, डिमाइलिनेशन से लेकर स्पाइन कोर्ड के ग्रे एवं व्हाइट मेटर नेक्रोटिक क्षतिग्रस्त तक हो जाता है। यह बीमारी एक लाख लोगों में से 1 से 10 लोगों को हो सकती है और इंसान के अलावा अन्य प्रजातियों में भी पाई जाती है।
दवाइयों व थैरेपी से उपचार
बीमारी में एक या दोनों आंखों में अंधता, हाथ या पैर में कमजोरी या लकवे की शिकायत, दर्द, खिंचाव, संवेदना कम हो जाना, उल्टियां होना, हिचकियां आना, मूत्राशय और आंत नियंत्रण की हानि हो सकती है। बेहोशी और दौरे आने की शिकायत हो सकती है। यह बीमारी बार बार हो सकती है। स्थायी अंधता या लकवा आ सकता है। इस बीमारी का विशेषज्ञ प्रकार की दवाइयों व थैरेपी से उपचार किया जाता है।
बीमारी में एक या दोनों आंखों में अंधता, हाथ या पैर में कमजोरी या लकवे की शिकायत, दर्द, खिंचाव, संवेदना कम हो जाना, उल्टियां होना, हिचकियां आना, मूत्राशय और आंत नियंत्रण की हानि हो सकती है। बेहोशी और दौरे आने की शिकायत हो सकती है। यह बीमारी बार बार हो सकती है। स्थायी अंधता या लकवा आ सकता है। इस बीमारी का विशेषज्ञ प्रकार की दवाइयों व थैरेपी से उपचार किया जाता है।